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बाकला ( Hindi )

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Phaseolus vulgaris”

बाकला या कॉमन बीन, (वैज्ञानिक नाम : फैसेयोलस वल्गैरिस) एक वार्षिक पौधा है, जो कि मीज़ो अमरीका और एंडीज़ पर्वत पर मूलतः उगता था। अब यह विश्व भर में उगाया जाता है। इसकी खाद्य फलियां और बीज ही इसके उत्पाद होते हैं। इसकी पत्तियां कहीं कहीं हरी सब्जी के काम आती हैं और इसका भूसा मवेशियों के लिए काम में आता है। जैविक दृष्टि से यह एक द्विबीजपत्री पौधा है। इसकी फलियां लेग्यूम श्रेणी की होने से भूमि को नाइट्रोजन दायक होती हैं। यह प्रक्रिया र्हाइज़ोबिया नामक नाइट्रोजन दायक जीवाणु द्वारा होती है।

राजमा

चित्र:Rajmah variety.jpg
राजमा के तीन प्रकार हैं_ लाल, चितरा और जम्मू

राजमा या अंग्रेज़ी में किडनी बीन, को उसके रंग और आकार के कारण गुर्दे का नाम दिया गया है। इसे अंग्रेज़ी में रेड बीन भी कहा जाता है, किंतु इस नाम से अन्य किस्म भी हैं। यह उत्तर भारत के खानपान की एक अभिन्न अंग बनने वाली किस्म है। इसे यहाँ अधिकतर चावल के संग परोसा जाता है।

यहाँ तीन प्रकार के राजमा होते हैं:-

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लाल राजमा

राजमा लाल

इसके बीज लंबे, लगभग २ से॰मी॰ के होते हैं। ये गहरे लाल रंग के चिकने होते हैं।

राजमा चितरा

इसे कभी कभी राजमा चित्र आभी कहा जाता है। इसके बीज बादामी रंग के लाल राजमा से कुछ छोटे होते हैं, लगभग १.२५-१.५ सें.मी. के।

राजमा जम्मू

यह राजमा कश्मीरी भी कहलाता है। इसके बीज १ सें॰मी॰ के अंदर के होते हैं। इनका आकार सबसे छोटा होता है। ये भी कुछ रानी रंग की आभा लिए हुए मैरून होते हैं।[1]

राजमा, कच्चे
पोषक मूल्य प्रति 100 ग्रा.(3.5 ओंस)
उर्जा 330 किलो कैलोरी 1390 kJ कार्बोहाइड्रेट 60 g - शर्करा 2 g - आहारीय रेशा 25 g वसा 1 g प्रोटीन 24 g पानी 12 g पैंटोथैनिक अम्ल (B5) 0.8 mg 16% फोलेट (Vit. B9) 394 μg 99% कैल्शियम 143 mg 14% लोहतत्व 8 mg 64% मैगनीशियम 140 mg 38% जस्ता 3 mg 30% प्रतिशत एक वयस्क हेतु अमेरिकी
सिफारिशों के सापेक्ष हैं.
स्रोत: USDA Nutrient database
कुछ उन्नतशील किस्में

रबी राजमा की संस्तुत किस्में है

  1. उदय,
  2. एच.यू.आर-१५,
  3. एच.यू.आर-१३७, तथा
  4. वी.एल-६३[2]
  • राजमा की प्रथम किस्म - वी.एल-६३ सन् १९८४ में विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधानशाला, अल्मोङा द्वारा विकसित की गई थी।
  • राजमा की उदय (पी.डी.आर-१४) किस्म सन् १९८७ में भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान, कानपुर द्वारा विकसित की गई थी।[2]

अन्य प्रकार

इस प्रजाति की कई ज्ञात प्रकार हैं। इनके बीजों के रंग और फली के आकार में भी बहुत भिन्नता होती है।

अनासाज़ी

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सूखे कॉमन बीन के बीजों में भिन्नता

अनासाज़ी फली (aka Aztec bean, Cave bean, New Mexico Appaloosa) दक्षिण-पश्चिमी उत्तर अमरीका के मूल की होती है।

काली बीन

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ब्लैक टर्टल बीन

छोटे, चिकने ब्लैक टर्टल बीन दक्षिण अमरीकी खाने में बहुत प्रचलित हैं। इसे सामान्यतः काली बीन कहा जाता है। (स्पेनिश:frijol negro, पुर्तगाली: feijão preto), हालाँकि इस तरह की एक अन्य ब्लैक बीन भी होती हैं।

ये एंटीओक्सीडैंट का अच्छा स्रोत होती हैं।[3]

ब्लैक टर्टल बीन की किस्मों में

  • ब्लैक मैजिक
  • ब्लैक हॉक
  • डोमिनो
  • नाइट हॉक
  • वैलेन्टाइन

क्रैनबरी एवं बॉर्लोटी बीन

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ताज़ी बॉर्लोट्टी फलियां

क्रेनबरी फलियों का उद्गम कोलंबिया में हुआ था। इन्हें कार्गैमैन्टो कहा जाता था।[4] यह फली मध्यम से बड़ी टैन वर्ण की होती है और इसमें लाल- या रानी रंग के धब्बे हो सकते हैं।

पिंक बीन

पिंटो बीन्स

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पिंटो बीन्स
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अलूबिया पिंटा अलावेसा

पिंटो बीन्स की किस्मों में:

  • बुर्के
  • ओथेल्लो
  • मावेरिक
  • सियरा

शेल बीन

फ्लैगोलेट बीन के प्रकारों में:-

  • शेवरियर
  • एल्सा
  • फ्लैम्बियऊ
  • फ्लैमिंगो

वाइट बीन

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कैनेलिनी बीन

नेवी बीन के प्रकारों में:

  • ग्रेट नॉर्थर्न बीन
  • रेनी रिवर
  • रोबस्ट
  • माइकेलाइट
  • सैनिलैक

येलो बीन

देखें

सन्दर्भ

  1. आई॰आई॰टी॰ खडगपुर का शोध
  2. Choung MG, Choi BR, An YN, Chu YH, Cho YS. Anthocyanin profile of Korean cultivated kidney bean (Phaseolus vulgaris L.) J Agric Food Chem. 2003 Nov 19;51(24):7040-3. Retrieved 6 अगस्त 2006.
  3. Sando, Steve; Barrington, Vanessa (2008). Heirloom Beans. Chronicle Books. पृ॰ 15. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0811860697.

बाहरी कड़ियाँ

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बाकला या कॉमन बीन, (वैज्ञानिक नाम : फैसेयोलस वल्गैरिस) एक वार्षिक पौधा है, जो कि मीज़ो अमरीका और एंडीज़ पर्वत पर मूलतः उगता था। अब यह विश्व भर में उगाया जाता है। इसकी खाद्य फलियां और बीज ही इसके उत्पाद होते हैं। इसकी पत्तियां कहीं कहीं हरी सब्जी के काम आती हैं और इसका भूसा मवेशियों के लिए काम में आता है। जैविक दृष्टि से यह एक द्विबीजपत्री पौधा है। इसकी फलियां लेग्यूम श्रेणी की होने से भूमि को नाइट्रोजन दायक होती हैं। यह प्रक्रिया र्हाइज़ोबिया नामक नाइट्रोजन दायक जीवाणु द्वारा होती है।

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