अंगूरफल या ग्रेपफ्रूट (वैज्ञानिक नाम: Citrus × paradisi) एक उपोष्णकटिबंधीय नींबूवंशी (सिट्रस) पेड़ है जो इसके खट्टे से लेकर खट्टे-मीठे और कुछ-कुछ कड़वे स्वाद वाले फलों के लिए जाना जाता है। संतरे (C. sinensis) और चकोतरे (C. maxima) के मेल से बनी यह संकर प्रजाति संयोग से ही अस्तित्व में आई जब सत्रहवीं शताब्दी में बारबाडोस में इन दो प्रजातियों को एशिया से यहाँ लाया गया था। जब इस संयोग का पता चला तो इस फल को "वर्जित फल" नाम दिया गया; और इसे चकोतरा की एक किस्म भी माना गया।
अंगूर की तरह गुच्छों (फल के समूहों) में विकसित होकर पेड़ से लटकने के कारण इसे अंगूरफल का नाम दिया गया।[1]
अंगूरफल का पेड़ सदाबहार होता है और लगभग 5-6 मीटर (16-20 फीट) की ऊंचाई तक बढ़ता है, हालांकि ये 13-15 मीटर (43-49 फीट) तक पहुंच सकते हैं। इसके पत्ते चमकदार गहरे हरे, लंबे (15 सेंटीमीटर (5.9 इंच)) और पतले होते हैं। इसके चार पंखड़ी वाले फूल 5 सेमी (2 इंच) आकार के होते हैं। इसके फलों का छिलका पीला-नारंगी रंग का होता है और आकार आम तौर पर आंशिक तिरछा-गोलाकार होता है; जिसका व्यास 10-15 सेमी (3. 9-5.9 इंच) का होता है। इसका गूदा फांकों में विभाजित और स्वभाव से अम्लीय होता है। गूदे का रंग और मिठास इसकी किस्म के आधार पर भिन्न हो सकते हैं, जहां गूदा सफेद, गुलाबी और लाल हो सकता है तो मिठास गूदे के रंग के अनुसार बदलती है आमतौर पर गूदा जितना लाल होता है स्वाद उतना ही मीठा होता हैं। 1929 में अमेरिकी रूबी रेड (रेडब्लश किस्म) को पहला अंगूरफल पेटेंट मिला था।[2]
अंगूरफल या ग्रेपफ्रूट (वैज्ञानिक नाम: Citrus × paradisi) एक उपोष्णकटिबंधीय नींबूवंशी (सिट्रस) पेड़ है जो इसके खट्टे से लेकर खट्टे-मीठे और कुछ-कुछ कड़वे स्वाद वाले फलों के लिए जाना जाता है। संतरे (C. sinensis) और चकोतरे (C. maxima) के मेल से बनी यह संकर प्रजाति संयोग से ही अस्तित्व में आई जब सत्रहवीं शताब्दी में बारबाडोस में इन दो प्रजातियों को एशिया से यहाँ लाया गया था। जब इस संयोग का पता चला तो इस फल को "वर्जित फल" नाम दिया गया; और इसे चकोतरा की एक किस्म भी माना गया।
अंगूर की तरह गुच्छों (फल के समूहों) में विकसित होकर पेड़ से लटकने के कारण इसे अंगूरफल का नाम दिया गया।