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पॉलीगोनेसी ( Hindi )

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पॉलीगोनेसी (Polygonaceae) द्विबीजपत्रीय वर्ग का एक जीववैज्ञानिक कुल है, जिसमें लगभग ४० वंश (genera) और लगभग ७५० जातियाँ पाई जाती हैं। इसकी १०९ जातियाँ भारत में मिलती हैं। अधिकांशतः ये पौधे प्राक (herb) किस्म के हाते हैं, पर कुछ लतर के रूप के भी पाए जाते हैं।

पत्तियाँ सरल, पूरी और एकांतर (alternate) होती हैं। अनुपर्ण (stipule) विशेष प्रकार का होता है, जो तने के चारों ओर खोखली नली बनाता है और एक पर्वसंधि (node) से लेकर दूसरी पर्वसंधि कुछ ऊँचाई तक घेरे रहता है। इसे नाल चोली अनुपर्ण कहते हैं और यह इस कुल की विशेषता है। पुष्पगुच्छ असीमाक्षी (racemoss) होता है तथा फूल द्विलिंगी और नियमित (regular) होते हैं। कभी-कभी अनियमित भी होते हैं। परिदलपुंज (perianth) दो चक्करों (whorls) में, तीन बाहर और तीन अंदर या एक चक्कर में पाँच, होते हैं। पुमंग (androecium) भी तीन और तीन के दो चक्करों में, या पाँच से आठ तक एक ही चक्कर में, होता है। जायांग (gynaeceum) की संख्या तीन होती है, जो युक्तांडपी (syncarpous) होते हैं। ओवरी या अंडाशय सुपीरियर (superior) होता है। फल छोटा तिकोना होता है।

इस कुल के मुख्य वंशों को तीन उपकुलों में भी बाँटा जाता है। ये उपकुल हैं,

  • (१) रूमीकायडिई (Rumicoideae),
  • (२) पॉलीगोनॉयडिई (Polygonoideae) और
  • (३) कॉकोलोबॉयडिई (Coccoloboideae)

बाहरी कड़ियाँ

सन्दर्भ

  1. Antoine Laurent de Jussieu. 1789. Genera plantarum: secundum ordines naturales disposita, juxta methodum in Horto regio parisiensi exaratam. page 82. Herrisant and Barrois: Paris, France
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पॉलीगोनेसी: Brief Summary ( Hindi )

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पॉलीगोनेसी (Polygonaceae) द्विबीजपत्रीय वर्ग का एक जीववैज्ञानिक कुल है, जिसमें लगभग ४० वंश (genera) और लगभग ७५० जातियाँ पाई जाती हैं। इसकी १०९ जातियाँ भारत में मिलती हैं। अधिकांशतः ये पौधे प्राक (herb) किस्म के हाते हैं, पर कुछ लतर के रूप के भी पाए जाते हैं।

पत्तियाँ सरल, पूरी और एकांतर (alternate) होती हैं। अनुपर्ण (stipule) विशेष प्रकार का होता है, जो तने के चारों ओर खोखली नली बनाता है और एक पर्वसंधि (node) से लेकर दूसरी पर्वसंधि कुछ ऊँचाई तक घेरे रहता है। इसे नाल चोली अनुपर्ण कहते हैं और यह इस कुल की विशेषता है। पुष्पगुच्छ असीमाक्षी (racemoss) होता है तथा फूल द्विलिंगी और नियमित (regular) होते हैं। कभी-कभी अनियमित भी होते हैं। परिदलपुंज (perianth) दो चक्करों (whorls) में, तीन बाहर और तीन अंदर या एक चक्कर में पाँच, होते हैं। पुमंग (androecium) भी तीन और तीन के दो चक्करों में, या पाँच से आठ तक एक ही चक्कर में, होता है। जायांग (gynaeceum) की संख्या तीन होती है, जो युक्तांडपी (syncarpous) होते हैं। ओवरी या अंडाशय सुपीरियर (superior) होता है। फल छोटा तिकोना होता है।

इस कुल के मुख्य वंशों को तीन उपकुलों में भी बाँटा जाता है। ये उपकुल हैं,

(१) रूमीकायडिई (Rumicoideae), (२) पॉलीगोनॉयडिई (Polygonoideae) और (३) कॉकोलोबॉयडिई (Coccoloboideae)
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