बकायन (वानस्पतिक नाम : Melia azedarach)[3] नीम की जाति का एक पेड़ है। भारत में प्रायः सभी प्रान्तों में पाया जाता है। नीम से छोटा एवं अचिरस्थाई होता है। इसके पत्ते कड़वे नीम के समान तथा आकार में कुछ बड़े होते हैं। बकाइन की लकड़ी इमारती कामों के लिए बहुत उपयोगी होता है। यह छायादार पेड़ होता है। इसके फल भी कड़वे नीम के फल के समान होते हैं।
इसको महानिम्ब भी कहते हैं। यह एक औषधीय पेड़ है। आयुर्वेद में बकायन का बहुत महत्त्व है। बकायन से विभिन्न रोगों का उपचार किया जाता है । बवासीर, नेत्ररोग, मुह के छाले, पेट मे दर्द, आँतो के कीड़े, प्रमेह, श्वेतप्रदर, खुजली, पेट के कीड़े आदि, अर्श में तो बकायन का बहुत महत्व है ।
इसकी पत्तियाँ नीम की पत्तियों के समान तथा कुछ बड़ी और दुर्गन्धयुक्त होती है।
गुच्छों में नीम के फूल के आकार वाले कुछ नीलापन लिए लालीयुक्त होते हैं।
झुमकों में नीम के फल के आकार वाले गोल होते हैं।
बकायन (वानस्पतिक नाम : Melia azedarach) नीम की जाति का एक पेड़ है। भारत में प्रायः सभी प्रान्तों में पाया जाता है। नीम से छोटा एवं अचिरस्थाई होता है। इसके पत्ते कड़वे नीम के समान तथा आकार में कुछ बड़े होते हैं। बकाइन की लकड़ी इमारती कामों के लिए बहुत उपयोगी होता है। यह छायादार पेड़ होता है। इसके फल भी कड़वे नीम के फल के समान होते हैं।
इसको महानिम्ब भी कहते हैं। यह एक औषधीय पेड़ है। आयुर्वेद में बकायन का बहुत महत्त्व है। बकायन से विभिन्न रोगों का उपचार किया जाता है । बवासीर, नेत्ररोग, मुह के छाले, पेट मे दर्द, आँतो के कीड़े, प्रमेह, श्वेतप्रदर, खुजली, पेट के कीड़े आदि, अर्श में तो बकायन का बहुत महत्व है ।