निडारिया (Cnidaria) १०,००० जीववैज्ञानिक जातियों से भी अधिक सदस्यों वाला प्राणियों का एक जीववैज्ञानिक संघ है जो समुद्री व मीठे जलाश्यों में मिलते हैं, हालांकि इनमें से अधिकतर समुद्रवासी हैं। यह अपनी निडोसाइट नामक विशेष कोशिकाओं के लिये जाने जाते हैं जो सुई जैसी विषैली वस्तुएँ विस्फोटक रूप से छोड़कर अन्य प्राणियों का शिकार करते हैं। इनके शरीर का अधिकांश भाग मीसोग्लीया (mesoglea) नामक अवलेह (जेली) जैसी सामग्री का बना होता है जो एक पतली त्वचा के अन्दर बन्द होता है। इनके शरीरों में व्यासीय सममिति (radial symmetry) दिखती है और एक मुख होता है जिसके इर्द-गिर्द निडोसाइट कोशिकाएँ धारण किये हुए टेन्टेकल होते हैं। जेलीमछली सबसे अधिक पहचानी जाने वाली निडारिया संघ की श्रेणी है।[5]
निडारिया (Cnidaria) १०,००० जीववैज्ञानिक जातियों से भी अधिक सदस्यों वाला प्राणियों का एक जीववैज्ञानिक संघ है जो समुद्री व मीठे जलाश्यों में मिलते हैं, हालांकि इनमें से अधिकतर समुद्रवासी हैं। यह अपनी निडोसाइट नामक विशेष कोशिकाओं के लिये जाने जाते हैं जो सुई जैसी विषैली वस्तुएँ विस्फोटक रूप से छोड़कर अन्य प्राणियों का शिकार करते हैं। इनके शरीर का अधिकांश भाग मीसोग्लीया (mesoglea) नामक अवलेह (जेली) जैसी सामग्री का बना होता है जो एक पतली त्वचा के अन्दर बन्द होता है। इनके शरीरों में व्यासीय सममिति (radial symmetry) दिखती है और एक मुख होता है जिसके इर्द-गिर्द निडोसाइट कोशिकाएँ धारण किये हुए टेन्टेकल होते हैं। जेलीमछली सबसे अधिक पहचानी जाने वाली निडारिया संघ की श्रेणी है।