होहोबा /həˈhoʊbə/ एक रेगिस्तानी पौधा है इसका अंग्रेजी नाम जोजोबा (Jojoba) है तथा वानस्पतिक [2] नाम साइमन्डेसिया [3] चायनेंसिमइसे होहोबा के नाम से जाना जाता है। यह मूलतः रेगिस्तानी पौधा है जो मैक्सिको,[4] High temperatures are tolerated by jojoba, but frost can damage or kill plants.[5] कैलिफोर्निया और एरिजोना के रेगिस्तान में पाया जाता है इसके बीजों से लगभग ४५ से ५५ प्रतिशत तक तेल प्राप्त किया जा सकता है इसका तेल [6] उच्च तापक्रम वह बहुत भारी दबाव वाली मशीनों में लुब्रिकेशन हेतु काम आता है। इस के तेल की [6] गुणवत्तामछली के तेल के समान होती है इसके अलावा प्रसाधन सामग्री तथा चिपकाने वाले पदार्थों के निर्माण में भी इसका इस्तेमाल आसानी से होता है।[7]
रेगिस्तान के इस होहोबा पौधे[8] की खेती के प्रोत्साहन हेतु भारतीय राज्य राजस्थान राजस्व अधिनियम १९५५ के तहत बंजर भूमि का राजस्थान सरकार के पट्टे पर आवंटन प्राप्त [9] करने का प्रावधान है। राजस्थान में इस फसल की खेती को विकसित करने में इजरायली वैज्ञानिक[4] की सहायता से दो कृषि फार्म फतेहपुर सीकर में ७० हैक्टेयर जबकि ढंड जयपुर में ५.४५ हैक्टेयर क्षेत्र में यह कृषि फार्म विकसित किए गए हैं।[3]हाल ही मे निजी सेेेेत्र् मे एक और फार्म झज्जर (बीकानेर) मे स्थापित कीया गया है।
होहोबा /həˈhoʊbə/ एक रेगिस्तानी पौधा है इसका अंग्रेजी नाम जोजोबा (Jojoba) है तथा वानस्पतिक नाम साइमन्डेसिया चायनेंसिमइसे होहोबा के नाम से जाना जाता है। यह मूलतः रेगिस्तानी पौधा है जो मैक्सिको, High temperatures are tolerated by jojoba, but frost can damage or kill plants. कैलिफोर्निया और एरिजोना के रेगिस्तान में पाया जाता है इसके बीजों से लगभग ४५ से ५५ प्रतिशत तक तेल प्राप्त किया जा सकता है इसका तेल उच्च तापक्रम वह बहुत भारी दबाव वाली मशीनों में लुब्रिकेशन हेतु काम आता है। इस के तेल की गुणवत्तामछली के तेल के समान होती है इसके अलावा प्रसाधन सामग्री तथा चिपकाने वाले पदार्थों के निर्माण में भी इसका इस्तेमाल आसानी से होता है।
रेगिस्तान के इस होहोबा पौधे की खेती के प्रोत्साहन हेतु भारतीय राज्य राजस्थान राजस्व अधिनियम १९५५ के तहत बंजर भूमि का राजस्थान सरकार के पट्टे पर आवंटन प्राप्त करने का प्रावधान है। राजस्थान में इस फसल की खेती को विकसित करने में इजरायली वैज्ञानिक की सहायता से दो कृषि फार्म फतेहपुर सीकर में ७० हैक्टेयर जबकि ढंड जयपुर में ५.४५ हैक्टेयर क्षेत्र में यह कृषि फार्म विकसित किए गए हैं।हाल ही मे निजी सेेेेत्र् मे एक और फार्म झज्जर (बीकानेर) मे स्थापित कीया गया है।