घुड़खर (Indian wild ass ; वैज्ञानिक नाम : Equus hemionus khur) एक वन्य पशु है जो दक्षिण एशिया का देशज है। घुड़खर यानी घोड़ा और गधा (खर)। इसे 'गुजरात का जंगली गधा' या 'बलूची जंगली गदहा' भी कहते हैं। वर्ष २०१६ के आंकड़ों के अनुसार इस गधे के लुप्त होने का खतरा कुछ सीमा तक है।
गुजरात में कच्छ के रण में पाया जाने वाला एक अनोखा प्राणी, जो न गधा है, न घोड़ा है, न दोनों के मेल से बनने वाला खच्चर है। घुड़खर अभयारण्य, गुजरात के लघु कच्छ रण में स्थित है। यह ४९५४ वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है और भारत का सबसे बड़ा अभयारण्य है। यह अभयारण्य 'खर', 'गधेरा' या 'घुड़खर' (जंगली गधा) के लिये प्रसिद्ध है। इसकी देहदशा मज़बूत होती है; वज़न लगभग ढाई सौ किग्रा, अधिकतम रफ़्तार लगभग 70-80 किमी तक। यह प्राणी उन प्राणियों की सूची में है, जो लुप्तप्राय हैं। यही कारण है कि घुड़खर को वन्य पशु सुरक्षा अधिनियम 1972 के अंतर्गत पहली सूची में रखा गया है। अमिताभ बच्चन ने इसी घुड़खर का कैंपेन विज्ञापन किया था, ताकि लोगों की नज़र में घुड़खर आये और उसकी सुरक्षा की गंभीरता को स्वीकार किया जाये, उसपर विचार किया जाये। इसी गंभीरता और संवेदनशीलता को देखते हुए भारत सरकार ने 2013 में इस घुड़खर पर डाक टिकट भी जारी किया गया था।
घुड़खर (Indian wild ass ; वैज्ञानिक नाम : Equus hemionus khur) एक वन्य पशु है जो दक्षिण एशिया का देशज है। घुड़खर यानी घोड़ा और गधा (खर)। इसे 'गुजरात का जंगली गधा' या 'बलूची जंगली गदहा' भी कहते हैं। वर्ष २०१६ के आंकड़ों के अनुसार इस गधे के लुप्त होने का खतरा कुछ सीमा तक है।
गुजरात में कच्छ के रण में पाया जाने वाला एक अनोखा प्राणी, जो न गधा है, न घोड़ा है, न दोनों के मेल से बनने वाला खच्चर है। घुड़खर अभयारण्य, गुजरात के लघु कच्छ रण में स्थित है। यह ४९५४ वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है और भारत का सबसे बड़ा अभयारण्य है। यह अभयारण्य 'खर', 'गधेरा' या 'घुड़खर' (जंगली गधा) के लिये प्रसिद्ध है। इसकी देहदशा मज़बूत होती है; वज़न लगभग ढाई सौ किग्रा, अधिकतम रफ़्तार लगभग 70-80 किमी तक। यह प्राणी उन प्राणियों की सूची में है, जो लुप्तप्राय हैं। यही कारण है कि घुड़खर को वन्य पशु सुरक्षा अधिनियम 1972 के अंतर्गत पहली सूची में रखा गया है। अमिताभ बच्चन ने इसी घुड़खर का कैंपेन विज्ञापन किया था, ताकि लोगों की नज़र में घुड़खर आये और उसकी सुरक्षा की गंभीरता को स्वीकार किया जाये, उसपर विचार किया जाये। इसी गंभीरता और संवेदनशीलता को देखते हुए भारत सरकार ने 2013 में इस घुड़खर पर डाक टिकट भी जारी किया गया था।