डूगोंग (dugong) एक मध्यम आकार का समुद्री स्तनधारी प्राणी है जो विश्व के कई भागों में समुद्री तटीय क्षेत्रों के जल में पाया जाता है। यह साइरेनिया जीववैज्ञानिक गण का सदस्य है, जिसमें चार जीववैज्ञानिक जातियाँ पाई जाती हैं। डूगोंग इस गण के अधीन डूगोंगिडाए (Dugongidae) नामक कुल की इकलौती जीवित जाति है। इस कुल में स्टेलर समुद्री गाय (Steller's sea cow) नामक एक अन्य जाति भी थी लेकिन उसका इतना शिकार करा गया कि वह १८वीं शताब्दी में विलुप्त हो गई। साइरेनिया गण में डूगोंग के अलावा तीन मैनाटी की जातियाँ भी हैं।[2]
डूगोंग का हज़ारों वर्षों से तेल और माँस के लिये शिकार किया गया है। यह एक लम्बी आयु की जाति है - औसतन डूगोंग ७० वर्षों के लिये जीवित रहते हैं। इनके प्रजनन की गति धीमी है और इनकी संख्या धीरे-धीरे ही बढ़ती है। इन कारणों से इनका संरक्षण आवश्यक हो गया है और यह एक असुरक्षित जाति घोषित कर दी गई है। कई स्थानों पर इन्हें सुरक्षित रखने के लिये प्रयास करे जा रहे हैं, मसलन भारत की चिल्का झील में।[3]
डूगोंग (dugong) एक मध्यम आकार का समुद्री स्तनधारी प्राणी है जो विश्व के कई भागों में समुद्री तटीय क्षेत्रों के जल में पाया जाता है। यह साइरेनिया जीववैज्ञानिक गण का सदस्य है, जिसमें चार जीववैज्ञानिक जातियाँ पाई जाती हैं। डूगोंग इस गण के अधीन डूगोंगिडाए (Dugongidae) नामक कुल की इकलौती जीवित जाति है। इस कुल में स्टेलर समुद्री गाय (Steller's sea cow) नामक एक अन्य जाति भी थी लेकिन उसका इतना शिकार करा गया कि वह १८वीं शताब्दी में विलुप्त हो गई। साइरेनिया गण में डूगोंग के अलावा तीन मैनाटी की जातियाँ भी हैं।
डूगोंग का हज़ारों वर्षों से तेल और माँस के लिये शिकार किया गया है। यह एक लम्बी आयु की जाति है - औसतन डूगोंग ७० वर्षों के लिये जीवित रहते हैं। इनके प्रजनन की गति धीमी है और इनकी संख्या धीरे-धीरे ही बढ़ती है। इन कारणों से इनका संरक्षण आवश्यक हो गया है और यह एक असुरक्षित जाति घोषित कर दी गई है। कई स्थानों पर इन्हें सुरक्षित रखने के लिये प्रयास करे जा रहे हैं, मसलन भारत की चिल्का झील में।