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丁茄

Solanum virginianum L.

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Solasodine can be extracted from the fruits, a source of raw material for hormone synthesis.
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版權
Missouri Botanical Garden, 4344 Shaw Boulevard, St. Louis, MO, 63110 USA
書目引用
Flora of China Vol. 17: 325 in eFloras.org, Missouri Botanical Garden. Accessed Nov 12, 2008.
來源
Flora of China @ eFloras.org
編輯者
Wu Zhengyi, Peter H. Raven & Hong Deyuan
專題
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Description ( 英語 )

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Herbs erect or creeping, sometimes woody at base, 50-70 cm tall, copiously armed with sturdy, needlelike, broad-based prickles 0.5-2 cm × 0.5-1.5 mm, pubescent with 7-9-rayed stellate hairs, overall glabrescent. Leaves unequal paired; petiole 2-3.5 cm, prickly, with sessile stellate hairs; leaf blade ovate-oblong, 4-9 × 2-4.5 cm, pubescent and prickly along veins, glabrescent, base subcordate or unequal, margin usually 5-9-lobed or pinnately parted, lobes unequal, sinuate, apex acute. Inflorescences elongate racemes 4-7 cm; peduncle unbranched, copiously armed. Pedicel ca. 1 cm. Calyx campanulate, ca. 1 cm in diam.; lobes oblong, pubescent, prickly. Corolla blue-purple, rotate, 1.4-1.6 × 2.5 cm; lobes ovate-deltate, 6-8 mm, densely pubescent with stellate hairs. Filaments ca. 1 mm; anthers ca. 8 mm. Style ca. 1 cm. Fruiting pedicel 2-3.6 cm, with prickles and sparse stellate hairs. Fruiting calyx prickly, sparsely pubescent. Berry pale yellow, 1.3-2.2 cm in diam. Seeds subreniform, ca. 1.5 mm in diam. Fl. Nov-May, fr. Jun-Sep.
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版權
Missouri Botanical Garden, 4344 Shaw Boulevard, St. Louis, MO, 63110 USA
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Flora of China Vol. 17: 325 in eFloras.org, Missouri Botanical Garden. Accessed Nov 12, 2008.
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Flora of China @ eFloras.org
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Wu Zhengyi, Peter H. Raven & Hong Deyuan
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Distribution ( 英語 )

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Hainan, Hubei, Sichuan, Taiwan, Yunnan [Afghanistan, India, S Japan, Malaysia, Nepal, Sri Lanka, Thailand, Vietnam; Africa, SW Asia, Pacific Islands]
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Sandy river beaches; 100-1300 m.
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Missouri Botanical Garden, 4344 Shaw Boulevard, St. Louis, MO, 63110 USA
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Synonym ( 英語 )

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Solanum mairei H. Léveillé; S. surattense N. L. Burman; S. xanthocarpum Schrader & Wendland.
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कन्टकारी ( 尼泊爾語 )

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कन्टकारी

कन्टकारी सोलानेसी परिवारमा पर्ने औषधीय गुण भएको वनस्पति हो ।

कन्टकारीको औषधीय गुणहरू

दाँत दुख्दा र दाँतको कीरा मार्न यसको फलको लेदो दलिन्छ वा सुकाइएको फलको धुवाँ लगाइन्छ । चिसो लागेमा र ब्रोङकाइटिसमा यसको फलको सेवन गरिन्छ । माछा मार्न बिषको रुपमा यसको फलको प्रयोग गरिन्छ ।[२]

यो पनि हेर्नुहोस्

चित्र दिर्घा

सन्दर्भ सामग्रीहरू

  1. KANTAKARI (Solanum xanthocarpum), herbalcureindia.com
  2. नेपालमा पाइने प्रमुख गैरकाष्ठ वन पैदावार तथा जडीबुटीहरुको औषधीय प्रयोग र महत्व, अनिरुद्ध कुमार साह, वनविज्ञान शास्त्री

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कन्टकारी: Brief Summary ( 尼泊爾語 )

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कन्टकारी सोलानेसी परिवारमा पर्ने औषधीय गुण भएको वनस्पति हो ।

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भटकटैया ( 印地語 )

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कंटकारी का पौधा, पुष्प और फल
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कंटकारी के फल

भटकटैया या कंटकारी (वैज्ञानिक नाम : Solanum xanthocarpum) का फैलने वाला, बहुवर्षायु क्षुप है। इसके पत्ते लम्बे काँटो से युक्त हरे होते है ; पुष्प नीले रंग के होते है ; फल क्च्चे हरित वर्ण के और पकने पर पीले रंग के हो जाते है। बीज छोटे और चिकने होते है। यह पश्चिमोत्तर भारत मे शुष्कप्राय स्थानों पर होती है। यह एक औषधीय पादप है। [1]भटकटैया के कुछ भाग (जैसे, फल) विषैले होते हैं।[2]

परिचय

कंटकारी एक अत्यंत परिप्रसरी क्षुप हैं जो भारवतर्ष में प्राय: सर्वत्र रास्तों के किनारे तथा परती भूमि में पाया जाता है। लोक में इसके लिए भटकटैया, कटेरी, रेंगनी अथवा रिंगिणी; संस्कृत साहित्य में कंटकारी, निदग्धिका, क्षुद्रा तथा व्याघ्री आदि; और वैज्ञानिक पद्धति में, सोलेनेसी कुल के अंतर्गत, सोलेनम ज़ैंथोकार्पम (Solanum xanthocarpum) नाम दिए गए हैं।

इसका लगभग र्स्वागकंटकमय होने के कारण यह दु:स्पर्श होता है। काँटों से युक्त होते हैं। पत्तियाँ प्राय: पक्षवत्‌, खंडित और पत्रखंड पुनः खंडित या दंतुर (दाँतीदार) होते हैं। पुष्प जामुनी वर्ण के, फल गोल, व्यास में आध से एक इंच के, श्वेत रेखांकित, हरे, पकने पर पील और कभी-कभी श्वेत भी होते हैं। यह लक्ष्मणा नामक संप्रति अनिश्चित वनौषधि का स्थानापन्न माना है। आयुर्वेदीय चिकित्सा में कटेरी के मूल, फल तथा पंचाग का व्यवहार होता है। प्रसिद्ध औषधिगण 'दशमूल' और उसमें भी 'लंघुपंचमूल' का यह एक अंग है। स्वेदजनक, ज्वरघ्न, कफ-वात-नाशक तथा शोथहर आदि गुणों के कारण आयुर्वेदिक चिकित्साके कासश्वास, प्रतिश्याय तथा ज्वरादि में विभिन्न रूपों में इसका प्रचुर उपयोग किया जाता है। बीजों में वेदनास्थापन का गुण होने से दंतशूल तथा अर्श की शोथयुक्त वेदना में इनका धुआँ दिया जाता है।

चिकित्सीय गुण

आयुर्वेदिक मतानुसार भटकटैया स्वाद में कटु, तिक्त, गुण में हलकी, तीक्ष्ण, प्रकृति में गर्म, विपाक में कटु, कफ निस्सारक, पाचक, अग्निवर्द्धक, वातशामक होती है। यह दमा, खांसी, ज्वर, कृमि, दांत दर्द, सिर दर्द, मूत्राशय की पथरी नपुंसकता, नकसीर, मिर्गी, उच्च रक्तचाप में गुणकारी है।

यूनानी चिकित्सा पद्धति के अनुसार भटकटैया दूसरे दर्जे की गर्म और खुश्क होती है। यह पित्त विकार, कफ, खांसी, दमा, पेट दर्द, मंदाग्नि, पेट के अफारे में गुणकारी है।

भटकटैया की रासायनिक संरचना का विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है कि इसके पंचांग में सोले कार्पिडिन एल्केलाइड पोटेशियम नाइट्रेट और पोटेशियम क्लोराइड अल्प मात्रा में पाए जाते हैं। इसका काढ़ा सुजाक में लाभप्रद होता है।[3]

भटकटैया का काढ़ा

बनाने की विधि

भटकटैया का पूरा पौधा फूल, फल, पत्ती, तना, जड़-पंचाङ्ग सहित उखाड़कर लायें। उसे ठीक से धुलने के बाद। जड़ सहित सम्पूर्ण पौधे को स्टील के बड़े से बर्तन में धीमी आँच पर पकने के लिए रख दें। यह मन्द आँच पर दो-तीन घंटे पकता रहेगा। उसके बाद जब पानी तिहाई शेष बचे तब उतारकर छान लें। राज्य फिर काँच की बोतलों में भरकर रख दें।

इसका तुरंत उपयोग कर सकते हैं। इसे संग्रहीत भी कर सकते हैं आवश्यकता पड़ने पर इसे पुनः एक बार उबालकर ठंडा करके रोगी को दिया जा सकता है। इससे पुरानी से पुरानी खाँसी तो ठीक होगी ही। इसके साथ ही सारा कफ भी धीरे-धीरे बाहर आ जायेगा।[4]

सेवन विधि और मात्रा

तीन से चार बड़े चम्मच समान मात्रा में जल के साथ इसका सेवन करना चाहिए।

यदि बहुत पहले बनाकर बोतल में बंद रखा है तो उपयोग से पहले एकबार उबालकर ठंडा अवश्य करना चाहिए ताकि यदि कुछ विकार आया होगा तो दूर हो जाय। यह काढ़ा रोगी को 3-6दिनों तक दिया जा सकता है। दिन में दो बार। उसको एक दो खुराक से ही आराम होने लगेगा।

सन्दर्भ

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

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भटकटैया: Brief Summary ( 印地語 )

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 src= कंटकारी का पौधा, पुष्प और फल  src= कंटकारी के फल

भटकटैया या कंटकारी (वैज्ञानिक नाम : Solanum xanthocarpum) का फैलने वाला, बहुवर्षायु क्षुप है। इसके पत्ते लम्बे काँटो से युक्त हरे होते है ; पुष्प नीले रंग के होते है ; फल क्च्चे हरित वर्ण के और पकने पर पीले रंग के हो जाते है। बीज छोटे और चिकने होते है। यह पश्चिमोत्तर भारत मे शुष्कप्राय स्थानों पर होती है। यह एक औषधीय पादप है। भटकटैया के कुछ भाग (जैसे, फल) विषैले होते हैं।

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ભોંયરીંગણી ( 古吉拉特語 )

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ભોંયરીંગણીનો છોડ, પુષ્પ.
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ભોંયરીગણીના છોડ પર કાચાં ફળ

ભોંયરીંગણી (સંસ્કૃત: कंटकारी; વૈજ્ઞાનિક નામ: સોલેનમ ઝેન્થોકાર્પમ-Solanum xanthocarpum; અંગ્રેજી: Yellow Berried Night shade) એ એક વનસ્પતિ છે. આ વનસ્પતિનો છોડ જમીન પર ફેલાતો, બહુવર્ષાયુ છોડ હોય છે. આ છોડનાં પાંદડાં લાંબા, કાંટાયુક્ત અને લીલાં રંગના હોય છે; તેનાં પુષ્પો જાંબલી રંગનાં હોય છે. તેનાં ફળ કાચાં લીલા રંગના અને પાકી જાય ત્યારે પીળા રંગના થઇ જાય છે. આ ફળમાં બીજ હોય છે, જે નાંનાં અને ચીકણાં હોય છે. આ છોડ પશ્ચિમ અને ઉત્તર ભારતમાં સુકા સ્થાનો પર જોવા મળતા હોય છે.

આયુર્વેદિક ગુણ કર્મ

ગુણ-- લઘુ, રુક્ષ, તીક્ષ્ણ

રસ-- તિક્ત, કટુ

વિપાક-- કટુ

વીર્ય-- ઊષ્ણ

કફવાત શામક, કાસહર, શોથહર, રક્તશોધક, બીજ શુક્રશોધન, હૃદયરોગનાશક, વાતશામક, રક્તચાપશામક (Lowers the Blood pressure)

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ભોંયરીંગણી: Brief Summary ( 古吉拉特語 )

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ભોંયરીંગણી (સંસ્કૃત: कंटकारी; વૈજ્ઞાનિક નામ: સોલેનમ ઝેન્થોકાર્પમ-Solanum xanthocarpum; અંગ્રેજી: Yellow Berried Night shade) એ એક વનસ્પતિ છે. આ વનસ્પતિનો છોડ જમીન પર ફેલાતો, બહુવર્ષાયુ છોડ હોય છે. આ છોડનાં પાંદડાં લાંબા, કાંટાયુક્ત અને લીલાં રંગના હોય છે; તેનાં પુષ્પો જાંબલી રંગનાં હોય છે. તેનાં ફળ કાચાં લીલા રંગના અને પાકી જાય ત્યારે પીળા રંગના થઇ જાય છે. આ ફળમાં બીજ હોય છે, જે નાંનાં અને ચીકણાં હોય છે. આ છોડ પશ્ચિમ અને ઉત્તર ભારતમાં સુકા સ્થાનો પર જોવા મળતા હોય છે.

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கண்டங்கத்தரி ( 坦米爾語 )

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கண்டங்கத்தரி (About this soundஒலிப்பு ) என்பது முழுவதும் முட்கள் நிறைந்த பளிச்சென்ற பசுமை நிறமுடைய தரிசு நிலங்களில் வளரும் ஒரு மூலிகைச் செடி ஆகும். இதற்கு பல கிளைகள் உண்டு. அக்கிளைகளிலும் கூரான மஞ்சள் நிற முட்கள் உண்டு. முட்கள் பெரும்பாலும் 1. 3 செ.மீ நீளத்திற்கும் அதிகமாகவே இருக்கும். இலைகளின் நரம்புகள் வரியோட்டமாகவும், இலை முழுவதும் மஞ்சள் நிறக் கூர் முட்களுடனும் காணப்படும். பூக்கள் அடர் ஊதா நிறத்தவை; பூவிதழ்கள் சுமார் 2 செ.மீ நீளமிருக்கும்; இது கத்தரி வகைச் செடி ஆகும். காயானது கத்தரிக்காய் போன்று 1.3 முதல் 3 செ.மீ விட்டம் உடையதாகவும், உள்ளே வெளிர்மஞ்சள் அல்லது வெள்ளை விதைகள் நிறைந்தும் காணப்படும்.

பெயர்கள்

கண்டங்கத்தரிக்கு கண்டகாரி, முள்ளிக்காய், கண்டங்காரி, பொன்னிறத்தி, முள்கொடிச்சி, சிங்கினி ஆகிய வேறு பெயர்கள் உண்டு.[2]

  1. 'கண்ட' எனும் சொல் முள்ளைக் குறிக்கும் (கண்ட = முள்) கண்டங்கத்தரி (முட்கத்தரி).[3]
  2. 'கண்டம்' என்பது தொண்டைப் பகுதியைக் குறிக்கும். தொண்டையில் ஏற்படும் நோய்களைக் குணப்படுத்துவதால் இதற்கு கண்டங்கத்தரி என்று பெயர்[4]

மூலிகைகளில் பங்கு

மூலிகை வகைகளில் கண்டங்கத்தரி ஆனது முக்கியத்துவம் வாய்ந்ததாகும். தச மூலம் என்பது சித்த மருந்துகளில் புகழ் பெற்றதாகும். பத்து வகையான மூலிகைகளின் வேர்களைக் கொண்டு இது தயாரிக்கப் படுவதால் தச மூலம் எனப் பெயர் பெற்றது. இப்பத்து வகை மூலிகைகளில் கண்டங்கத்தரியும் ஒன்றாகும்.

இயற்கை மருத்துவம்

  1. இளம் பிள்ளை வாத நோய் தாக்கிய சிறுவர்களுக்கு, கண்டங்கத்தரி தளைகளை நீருடன் மட்பாண்டத்தில் வேக வைத்து நீரை குளியல் செய்து வர குணமாகும்.
  2. ஆஸ்துமா, இருமல், சளி போன்ற நோய்களுக்கு கண்டங்கத்தரி, துளசி மற்றும் தூதுவளைத் தளைகளை இருமடங்கு நீருடன் அரை பங்காகும் அளவு சுண்டக் காய்ச்சி உட்கொண்டு வந்தால் குணமாகும்.

இவை பின் விளைவுகள் இல்லாத இயற்கை மருத்துவம் ஆகும்.

மேற்கோள்கள்

  1. KANTAKARI (Solanum xanthocarpum), herbalcureindia.com
  2. டாக்டர் வி.விக்ரம் குமார் (2018 திசம்பர் 22). "நோய்களைக் கொய்யும் ‘கத்திரி!’". கட்டுரை. இந்து தமிழ். பார்த்த நாள் 22 திசம்பர் 2018.
  3. http://www.tamilvu.org/slet/lA100/lA100pd4.jsp?bookid=210&pno=103
  4. http://www.vikatan.com/doctorvikatan/Alternate-Medicine/23937-kandakathiri.html#cmt241 கண்கண்ட மூலிகை கண்டங்கத்தரி! விகடன்

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கண்டங்கத்தரி: Brief Summary ( 坦米爾語 )

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கண்டங்கத்தரி (About this soundஒலிப்பு ) என்பது முழுவதும் முட்கள் நிறைந்த பளிச்சென்ற பசுமை நிறமுடைய தரிசு நிலங்களில் வளரும் ஒரு மூலிகைச் செடி ஆகும். இதற்கு பல கிளைகள் உண்டு. அக்கிளைகளிலும் கூரான மஞ்சள் நிற முட்கள் உண்டு. முட்கள் பெரும்பாலும் 1. 3 செ.மீ நீளத்திற்கும் அதிகமாகவே இருக்கும். இலைகளின் நரம்புகள் வரியோட்டமாகவும், இலை முழுவதும் மஞ்சள் நிறக் கூர் முட்களுடனும் காணப்படும். பூக்கள் அடர் ஊதா நிறத்தவை; பூவிதழ்கள் சுமார் 2 செ.மீ நீளமிருக்கும்; இது கத்தரி வகைச் செடி ஆகும். காயானது கத்தரிக்காய் போன்று 1.3 முதல் 3 செ.மீ விட்டம் உடையதாகவும், உள்ளே வெளிர்மஞ்சள் அல்லது வெள்ளை விதைகள் நிறைந்தும் காணப்படும்.

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Yellow-fruit nightshade ( 英語 )

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Solanum virginianum, also called Surattense nightshade,[2] yellow-fruit nightshade, yellow-berried nightshade, Indian nightshade, Thai green eggplant, or Thai striped eggplant (from the unripe fruit),[3] is a medicinal plant used mostly in India. Some parts of the plant, like the fruit, are poisonous. [4][5] The common name is Kantakari. Solanum surattense Burm. f. and Solanum xanthocarpum Schrad. and Wendl. are synonyms of Solanum virginianum L. (Sharma et al., 2010).

Description

Plant body

Thorny Nightshade is an erect herb, sometimes woody at the base, 50–70cm tall, and copiously armed with sturdy, needlelike, and broad-based prickles measuring 0.5–2cm × 0.5–1.5mm.[6]

Leaves

The plant has ovate-oblong, sinuated leaves that are unequally paired, the blades measuring 4-9 × 2-4.5cm. They have an acute apex and unequal lobes and are either pinnate or possessive of usually 5-9 lobes. The veins and stalks of the leaves are prickly, the stalks[a] having a length of 2-3.5cm.

Inflorescence

The racemose inflorescence of the plant is 4–7cm tall. The sepal tube is bell-shaped with a diameter of 1cm.

Flowers

Its blue-purple flowers are 1.4–1.6 × 2.5cm. The petals are ovate-deltate, measuring 6–8mm, and are densely pubescent with stellate hairs. The filaments have a measurement of 1mm, the anthers 8mm, and the style 1cm.

Fruits

Fruiting pedicels of the yellow-fruit nightshade have prickles and sparse stellate hairs and are 2–3.6cm tall. The fruiting sepals are prickly and sparsely pubescent. Pale yellow berries of 1.3–2.2 cm in diameter are produced. The ripe yellow fruits are around 3 cm in diameter.[7] Flowering normally appears around November to May.[4]

Occurrence

This plant is cultivated in the Himalayas, South-East Malaysia, Australia, and Polynesia region.[8] The plant is commonly found in India, often in waste places, on roadsides, and in open spaces.

Medicine

The plant has many medicinal properties. In the tribes of Nilgiris, the plant is used to treat whitlow (finger abscess) by inserting the affected finger into a ripe fruit for a few minutes.[7] In Nepal, a decoction of the root is taken twice a day for seven days to treat cough, asthma, and chest pain.[9]

Ayurvedic physicians commonly used the drugs of Dashmula in their private practices. Dashmula consists of the roots of five trees (brihat panchmula) and the roots of five small herbs (laghu panchmula). A deep study in Ayurveda indicates that out of 33 species of Solanum from the Solanaceae family, two species are used in “Dashmula,” namely Solanum anguivi Lam. (Bruhati) and Solanum virginianum L. (Kantkari) (Sharma, 2006). The tribes and villagers also used the drugs of the Dashmula group for their common illnesses. It is estimated that about 8000 metric tons of the roots used in Dashmula are used annually by the Ayurvedic industry in Maharashtra.[4]: 26 

Heble et al. (1968) discovered chemically isolated, crystallized diosgenin and beta sitosterol constituents from Solanum virginianum L. Further, they reported the presence of triterpenes like Tupeol. Heble et al., (1971) noted the presence of coumarins, scopolin, scopoletin, esculin, and esculetin from plant parts of Solanum virginianum through column chromatography. In addition to alkaloid content, Hussain et al. (2010) also determined the presence of flavonoids and saponin apart from the presence of tolerable levels of heavy metals like Cu, Fe, Pb, Cd, and Zn. Shankaret al. (2011) reported and quantified bioactive steroidal glycoalkaloid khasianine in addition to solanine and solasomargine through HPTLC. Apigenin was antiallergic, while diosgenin exhibited anti-inflammatory effects (Singh et al., 2010). The leaf extract inhibits the growth of pathogenic organisms. (Seeba, 2009). Tanusak Changbanjong et al. (2010) reported the effect of the crude extract of Solanum virginianum against snails and mosquito larvae.[4]: 28 

Solanum virginianum L. (Kantkari) is useful in the treatment of bronchial asthma (Govindan et al., 1999). Krayer and Briggs (1950) reported the antiaccelerator cardiac action of solasodine and some of its derivatives. The plant possesses antiurolithiatic and natriuretic activities. (Patel et al., 2010). A decoction of the fruit of the plant is used for the treatment of diabetes (Nadkarni, 1954). Solanum virginianum L. is useful for treating cough, chest pain, vomiting, hair fall, leprosy, itching scabies, skin diseases, and cardiac diseases associated with edema (Kumar et al., 2010).[4]: 28 

A decoction of the root has diuretic and expectorant properties and is used in the treatment of catarrhal, fever, cough, asthma, and chest pain (Ghani, 1996). A root paste is utilized by the Mukundara tribes of Rajasthan for the treatment of hernia, as well as flatulence and constipation. The stem, flowers, and fruits are prescribed for the relief of burning sensations in the feet. Leaves are applied locally to relieve body or muscle pains, while their juice mixed with black pepper is advised for rheumatism (Nadkarni, 1954). Fruit juice is useful for sore throats and rheumatism. A decoction of the fruit of the plant is used by tribal and rural people of Orissa for the treatment of diabetes (Nadkarni, 1954).[4]: 28  Smoking the seeds of the dried solanum virginianum in a biri wrap is said to allay toothache and tooth decay in Indian folk medicine.

In-vitro antioxidant and in-vivo antimutagenic properties of Solanum xanthocarpum seed extracts have been examined by qualitative phytochemical screening, which reveals the presence of polyphenols, flavonoids, glycoside, alkaloids, carbohydrates, and reducing sugar in the plant. Based on preliminary qualitative phytochemical screening, quantitative estimation of polyphenols in the plant has also been performed. The quantitative estimation of alcoholic extracts found significant amounts of polyphenols, as compared to aqueous extracts. In-vitro antioxidant studies have been performed by two methods: DDPH, and a superoxide radical scavenging method. The alcoholic extracts showed significant antioxidant properties, as compared to aqueous extracts. Based on polyphenols and antioxidant properties, alcoholic extracts were used for the antimutagenic (clastogenic) test. The alcoholic extracts produced significant results regarding the antimutagenic activity.[10]

Gallery

See also

Wikimedia Commons has media related to Solanum virginianum.

Note

  1. ^ The main stem of a herbaceous plant

References

  1. ^ "Solanum virginianum L." Plants of the World Online. Board of Trustees of the Royal Botanic Gardens, Kew. 2017. Retrieved 7 September 2020.
  2. ^ USDA, NRCS (n.d.). "Solanum virginianum". The PLANTS Database (plants.usda.gov). Greensboro, North Carolina: National Plant Data Team. Retrieved 17 November 2015.
  3. ^ René T. J. Cappers, Reinder Neef, Renée M. Bekker, Digital Atlas of Economic Plants: Acanthaceae - Hypoxidaceae, Vol. 2A, Barkhuis, 2009, p. 269
  4. ^ a b c d e f Toro, Dr. Sunita V. Toro; Patil, Dr. Anjali R. Patil; Chavan, Prof. (Dr.) N. S. Chavan (2013). Floral wealth of Achara- A sacred village on central west coast of India. Dr. V. B. Helavi. pp. 26–29. Retrieved 13 February 2019.
  5. ^ Michel H. Porcher, Know your eggplants - Part 4:The related Nightshades
  6. ^ Gokhale, Mahesh &, S.S.Shaikh & Chavan, Niranjana &, S.V.Toro. (2013). Floral wealth of Achara- A sacred village on central west coast of India.
  7. ^ a b Rémi Tournebize, Points on the ethno-ecological knowledge and practices among four Scheduled Tribes of the Nilgiris: Toda, Kota, Alu Kurumba and Irula, with emphasis on Toda ethnobotany, Institute of Research for Development (Marseille), Thesis 2013, p. 103
  8. ^ http://folkmedsindh.com.pk/solanum-surattense-burm-f/
  9. ^ RB Mahato, RP Chaudhary, Ethnomedicinal study and antibacterial activities of selected plants of Palpa district, Nepal, Scientific World, Vol. 3, No. 3, July 2005, p. 29[4]
  10. ^ Antioxidant and Antimutagenic (Anticlastogenic) Effect of Solanum xanthocarpum seed extracts. Santosh Kumar Vaidya, Dharmesh K. Golwala and Darpini S. Patel. International Journal of Pharmaceutical Sciences and Nanotechnology (ISSN: 0974-3278) 2020: Volume 13, Issue 4, page 5005-5010.[1]

https://clinphytoscience.springeropen.com/articles/10.1186/s40816-020-00229-1

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Yellow-fruit nightshade: Brief Summary ( 英語 )

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Solanum virginianum, also called Surattense nightshade, yellow-fruit nightshade, yellow-berried nightshade, Indian nightshade, Thai green eggplant, or Thai striped eggplant (from the unripe fruit), is a medicinal plant used mostly in India. Some parts of the plant, like the fruit, are poisonous. The common name is Kantakari. Solanum surattense Burm. f. and Solanum xanthocarpum Schrad. and Wendl. are synonyms of Solanum virginianum L. (Sharma et al., 2010).

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Solanum virginianum ( 越南語 )

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Solanum virginianum là loài thực vật có hoa trong họ Cà. Loài này được L. miêu tả khoa học đầu tiên năm 1753.[1]

Chú thích

  1. ^ The Plant List (2010). Solanum virginianum. Truy cập ngày 14 tháng 6 năm 2013.

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Solanum virginianum: Brief Summary ( 越南語 )

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Solanum virginianum là loài thực vật có hoa trong họ Cà. Loài này được L. miêu tả khoa học đầu tiên năm 1753.

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黄果茄 ( 漢語 )

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二名法 Solanum xanthocarpum
Schrad. et Wendl,1795

黄果茄学名Solanum xanthocarpum),又称大苦果野茄果磨莫仔荞刺天果黄果珊瑚马刺,为茄科茄属下的一种。

形态特征

黄果茄是一种直立或匍匐草本植物,植株高50~70厘米,植物体各部均被7~9分枝(正中的1分枝常伸向外)的星状绒毛,并密生细长的针状皮刺,皮刺长0.5~1.8厘米,基部宽0.5~1.5毫米。叶呈卵状长圆形,长4~6厘米,宽3~4.5厘米,边缘通常5~9裂或羽状深裂,裂片边缘波状,两面均被星状短绒毛,尖锐的针状皮刺则着生在两面的中脉及侧脉上。聚伞花序腋外生,通常3~5花,花蓝紫色,直径约2厘米。浆果球形,直径约1.3~1.9厘米,初时绿色并具深绿色的条纹,成熟后则变为淡黄色。

分布

黄果茄主要分布于亚洲大洋洲非洲东部的热带地区。在中国,黄果茄零星分布于湖北四川云南海南台湾。喜生于干旱河谷沙滩上,海拔125~880米,个别达海拔1100米。

与牛茄子的异同

黄果茄与另一种同属植物牛茄子Solanum surattense Burm. f.)相似,在《中国植物志》中,黄果茄与牛茄子是两种不同的植物,但是在西方一些资料中,两者常视为是同一种。

两者差异:黄果茄的叶子为长圆形,牛茄子的叶为阔卵形,黄果茄的叶较黄果茄较窄;黄果茄的花为蓝紫色,牛茄子的花为白色;黄果茄果实成熟后为黄色,牛茄子则为橙红色。

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黄果茄的花朵和较窄的叶子
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牛茄子白色的花朵

药用价值

黄果茄的果实可提取索拉索丁(Solasodine),是合成激素的理想原料,其含量在1%左右。[1]

参考资料

  1. ^ 黄果茄 Solanum xanthocarpum Schrad. & H. Wendl.. 中国植物物种信息数据库. [2013-01-15].
 src= 维基共享资源中相关的多媒体资源:黄果茄
茄属下的已知品种
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黄果茄: Brief Summary ( 漢語 )

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黄果茄(学名:Solanum xanthocarpum),又称大苦果、野茄果、磨莫仔荞、刺天果、黄果珊瑚、马刺,为茄科茄属下的一种。

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