हरणटोळ (इंग्लिश: Green Vine Snake) हा झाडांतून वस्ती करणारा साप आहे.
वास्तव्य- गाव,शहर,रानात खाद्य -पक्षी त्यांची अंडी,पाल,सरडे इत्यादी
हरणटोळ हा भारतात जंगलांमध्ये सापडतो. हा साप हा पूर्ण पाने झाडावरच राहतो आणि जगतो, नेहमी वेलींवर किव्वा फांद्यांवर दिसून येतो, जेथे जंगल घनदाट आणि उष्ण असते तेथे तो आढळतो,
हरणटोळ हा केवळ एकाच हिरव्या रंगात सापडत नाही तर कधी हिरवा आणि पिवळा तर कधी तपकिरी अश्या मिश्र रंगांमध्ये सुद्धा सापडतो, त्यची जीभ हि लांब आणि गडद हिरव्या रंगाची असते जीने तो आजूबाजूच्या स्तिथी चा अंदाज घेत असतो. घाबरला असता तो स्वताला फुगवून मोठा दाखवण्याचा प्रयत्न करतो.
एका वयस्क हरणटोळ चा घेर २ सेमी असून लांबी २ मीटर पर्यंत वाधू शकते. तो आपल्या लांब शेपटी चा वापर झाडावर चडताना किव्वा शिकार करताना माकडा सारख्या फांद्यांना पकडायला वापरतो. दुसऱ्या सापांपेक्षा याचे डोके लांब असते, डोक्याच्या टोकाला तोंड आणि नाक असते.
हरणटोळ हा एक धीम्या गतीचा साप असून तो स्वताला वाचवण्यासाठी पूर्णपणे आपल्या त्वचेच्या रंगाच्या झाडांमध्ये गायब होण्याच्या सवयीवर अवलंबून असतो. हरणटोळ हा पाली. सरडे. बेडूक आणि इतर कुर्ताडणाऱ्या प्राण्यांना खातो. तो आपल्या भक्ष डसून त्यामध्ये विष सोडून त्याला अक्क्खा गिळून खातो.
हरणटोळ हा माध्यम विषारी साप आहे, जरी त्याच्या विषाने मृत्यू होत नसला तरी त्याच्या चावण्या पासून लहान मुलगा आजारी पडू शकतो तर मोठ्यांना माधुमाशीच्या डंकाप्रमाणे जळजळ होते. आजपर्यंत याच्या चावण्याने कोणत्याही माणसाचा मृत्यू झाला नाही आहे.
आजकाल हरणटोळ हा अनेक ठिकाणी पेट म्हणून ठेवण्यात येत आहे, जरी स्वभावाने शांत असला तरी कधी कधी चिडून तो चावा घेतो, त्याच्या जबड्याच्या मागील दातांमध्ये विष असते. बाजारात सुद्धा त्यची विक्री होण वाढलेलं आहे, त्वचेच्या रंगामुळे लोकांच्या पसंतीस आल्यामुळे घरात पाळण्याचे प्रमाण वाढले आहे, त्याचे दुष्परिणाम मात्र सापाच्या जंगलातील संख्येवर आणि बंदिस्त अवस्थेत त्याच मरण्यात होत आहे.
हरणटोळ (इंग्लिश: Green Vine Snake) हा झाडांतून वस्ती करणारा साप आहे.
वास्तव्य- गाव,शहर,रानात खाद्य -पक्षी त्यांची अंडी,पाल,सरडे इत्यादी
हरणटोळ हा भारतात जंगलांमध्ये सापडतो. हा साप हा पूर्ण पाने झाडावरच राहतो आणि जगतो, नेहमी वेलींवर किव्वा फांद्यांवर दिसून येतो, जेथे जंगल घनदाट आणि उष्ण असते तेथे तो आढळतो,
हरणटोळ हा केवळ एकाच हिरव्या रंगात सापडत नाही तर कधी हिरवा आणि पिवळा तर कधी तपकिरी अश्या मिश्र रंगांमध्ये सुद्धा सापडतो, त्यची जीभ हि लांब आणि गडद हिरव्या रंगाची असते जीने तो आजूबाजूच्या स्तिथी चा अंदाज घेत असतो. घाबरला असता तो स्वताला फुगवून मोठा दाखवण्याचा प्रयत्न करतो.
एका वयस्क हरणटोळ चा घेर २ सेमी असून लांबी २ मीटर पर्यंत वाधू शकते. तो आपल्या लांब शेपटी चा वापर झाडावर चडताना किव्वा शिकार करताना माकडा सारख्या फांद्यांना पकडायला वापरतो. दुसऱ्या सापांपेक्षा याचे डोके लांब असते, डोक्याच्या टोकाला तोंड आणि नाक असते.
हरणटोळ हा एक धीम्या गतीचा साप असून तो स्वताला वाचवण्यासाठी पूर्णपणे आपल्या त्वचेच्या रंगाच्या झाडांमध्ये गायब होण्याच्या सवयीवर अवलंबून असतो. हरणटोळ हा पाली. सरडे. बेडूक आणि इतर कुर्ताडणाऱ्या प्राण्यांना खातो. तो आपल्या भक्ष डसून त्यामध्ये विष सोडून त्याला अक्क्खा गिळून खातो.
हरणटोळ हा माध्यम विषारी साप आहे, जरी त्याच्या विषाने मृत्यू होत नसला तरी त्याच्या चावण्या पासून लहान मुलगा आजारी पडू शकतो तर मोठ्यांना माधुमाशीच्या डंकाप्रमाणे जळजळ होते. आजपर्यंत याच्या चावण्याने कोणत्याही माणसाचा मृत्यू झाला नाही आहे.
आजकाल हरणटोळ हा अनेक ठिकाणी पेट म्हणून ठेवण्यात येत आहे, जरी स्वभावाने शांत असला तरी कधी कधी चिडून तो चावा घेतो, त्याच्या जबड्याच्या मागील दातांमध्ये विष असते. बाजारात सुद्धा त्यची विक्री होण वाढलेलं आहे, त्वचेच्या रंगामुळे लोकांच्या पसंतीस आल्यामुळे घरात पाळण्याचे प्रमाण वाढले आहे, त्याचे दुष्परिणाम मात्र सापाच्या जंगलातील संख्येवर आणि बंदिस्त अवस्थेत त्याच मरण्यात होत आहे.
ଲାଉଡଙ୍କିଆ ସାପ (ଈଂରାଜୀରେ Green Vine Snake ଓ ଜୀବବିଜ୍ଞାନ ନାମ Ahaetulla nasuta) ଦେଖିବାକୁ ଅତ୍ୟନ୍ତ ପତଳା ଓ ସବୁଜ ରଙ୍ଗର । ଏହି ସାପ ସାଧାରଣତଃ ଗଛ, ଲତାରେ ବାସ କରେ ଓ ନିଜର ଛଳାବରଣ ଯୋଗୁଁ ଅତି ସହଜରେ ପରିଦୃଷ୍ଟ ହୁଏନାହିଁ । ଏହି ସାପର ଆଉ ଏକ ଈଂରାଜୀ ନାମ ହେଉଛି long-nosed whip snake (ଗୋଜିଆମୁହାଁ ବେତ ସାପ)। ଓଡ଼ିଶାରେ କେହି କେହି ଏହାକୁ କାଣ୍ଡ ନାଗ ବୋଲି ମଧ୍ୟ କୁହନ୍ତି । ଭାରତ, ଶ୍ରୀଲଙ୍କା, ବଙ୍ଗଳାଦେଶ, ବ୍ରହ୍ମଦେଶ, ଥାଇଲ୍ୟାଣ୍ଡ, କ୍ୟାମ୍ବୋଡ଼ିଆ ଓ ଭିଏତ୍ନାମ ଆଦି ଦେଶରେ ଏହି ପ୍ରଜାତିର ସାପ ବହୁ ସଂଖ୍ୟାରେ ଦେଖିବାକୁ ମିଳନ୍ତି ।
କେନ୍ଦ୍ରୀୟ ଓ ଦକ୍ଷିଣ ଆମେରିକାରେ ପରିଲକ୍ଷିତ ହେଉଥିବା ଲାଉଡଙ୍କିଆ ସାପ ଏହାଠାରୁ ଭିନ୍ନ ପ୍ରଜାତିର । ସେହି ସାପକୁ ମଧ୍ୟ ଈଂରାଜୀରେ "green vine snake" କୁହାଯାଏ କିନ୍ତୁ ତାହାର ଜୀବବିଜ୍ଞାନ ନାମଟି ହେଲା Oxybelis fulgidus ।
ଓଡ଼ିଶାରେ ଲାଉଡଙ୍କିଆ ସାପର ଏକ ଅନ୍ୟ ଉପ-ପ୍ରଜାତି ମଧ୍ୟ ଦେଖାଯିବା ବିଷୟ ପ୍ରକାଶ ପାଇଛି ଯାହାକୁ ବିଚିତ୍ର ଲାଉଡଙ୍କିଆ ସାପ ବୋଲି ସ୍ଥାନୀୟ ଲୋକେ କୁହନ୍ତି । ଏହି ଉପପ୍ରଜାତିର ମାଈମାନେ ମାଟିଆ ଓ ଅଣ୍ଡିରାମାନେ ସାଗୁଆ ରଙ୍ଗର ହୋଇଥାନ୍ତି । ଏହି ସାପର ମୁଣ୍ଡରେ ଏକ ଛୋଟ ମଣ୍ଡଳାକାର ଚିହ୍ନ ରହିଥାଏ । [୧] ଏହି ଉପପ୍ରଜାତିକୁ Ahaetulla nasuta anomala ବା Ahaetulla anomala ବୋଲି ମଧ୍ୟ କୁହାଯାଇଥାଏ ।
ଲାଉଡଙ୍କିଆ ସାପ ଦିବାଚର ଓ ଅଳ୍ପ ବିଷଯୁକ୍ତ । ଏହି ସାପ ମୁଖ୍ୟତଃ ବେଙ୍ଗ, ଝିଟିପିଟି ଓ ଏଣ୍ଡୁଅ ପରି ଜୀବଙ୍କୁ ଆହାର ଭାବରେ ଗ୍ରହଣ କରେ । ଏହି ସାପର ଦୃଷ୍ଟିଶକ୍ତି ଏକ ଦୂରବିକ୍ଷଣ ଯନ୍ତ୍ର ପରି । ଅନ୍ୟ ସାପମାନଙ୍କ ସହିତ ତୁଳନା କଲେ ଏମାନେ ଖୁବ୍ ମନ୍ଥର । ତେବେ ବୁଦା, ବାଡ଼ ଓ ଗଛଡାଳରେ ଏମାନଙ୍କ ଛଳାବରଣ ଧରିବା ପ୍ରାୟ ଅସମ୍ଭବ । ଶିକାର ସମୟରେ ବେଗ ନୁହଁ ବରଂ ଏହି ଛଳାବରଣ ହିଁ ଏମାନଙ୍କ ମୁଖ୍ୟ ଅସ୍ତ୍ର । ରାଗିଗଲେ ବା ସତର୍କ ହୋଇଗଲେ ଏହି ସାପ ନିଜ ଶରୀରକୁ ଟିକିଏ ପ୍ରସାରିତ କରିଦିଏ ବା ଫୁଲାଇ ଦିଏ । ସେହି ସମୟରେ ଏହା ଶରୀରରେ ରହିଥିବା ଧଳା ଟୋପ ଟୋପ କାତି ବା ଦାଗ ସ୍ପଷ୍ଟ ଭାବେ ଦିଶେ । ବିପଦ ବା ଶତ୍ରୁ ଦିଗକୁ ଚାହିଁ ଏହି ସାପ ନିଜ ପାଟିକୁ ପୁରା ପୁରି ଖୋଲି ବଡ଼ ଆଁ କରି ତାହାକୁ ଡରାଇବାକୁ ଚେଷ୍ଟା କରେ ।
ଲାଉଡଙ୍କିଆ ସାପର ସିଂହଳୀ ନାମ ଅହୈତୁଲା ଶବ୍ଦର ଅର୍ଥ ହେଲା "ଆଖି ଖୋଳି ବା ତାଡ଼ି ନେବା ଲୋକ" । ତାମିଲ୍ ଓ ଅନ୍ୟ କିଛି ଭାରତୀୟ ଭାଷାରେ ମଧ୍ୟ ଏହି ସାପର ନାମ ସମାନ ଅର୍ଥସୂଚକ । ଡାଳରେ ଲୁଚିଥିବା ଲାଉଡଙ୍କିଆ ସାପ ନିକଟକୁ ହାତ ନେଲେ ବା ଧରିବାକୁ ଚେଷ୍ଟା କଲେ ସେ ଦନାଇ ଚାହିଁ ରହିଥାଏ ଏବଂ ଆଖିକୁ ଡେଇଁ କାମୁଡ଼ିବାକୁ ଚେଷ୍ଟା କରେ ବୋଲି ଏପରି ନାମକରଣ ହୋଇଛି ।[୨] ଅନେକ ମଣିଷ ଏହି ସାପର କାମୁଡ଼ା ଯୋଗୁଁ ନିଜ ଦୃଷ୍ଟିଶକ୍ତି ହରାଇଥିବାର ନଜୀର ରହିଛି ।
ଲାଉଡଙ୍କିଆ ସାପର ଶାବକ ନିଜ ମା'ର ଦେହ ଭିତରେ ବଢ଼ିଥାଏ ଓ ତା'ପରେ ମା' ତାହାକୁ ଜନ୍ମ ଦିଏ । ଅନ୍ୟ ସାପମାନେ ମା' ଦେଇଥିବା ଅଣ୍ଡାରୁ ଫୁଟି ଜନ୍ମ ହୋଇଥାନ୍ତି । ଲାଉଡଙ୍କିଆ ସାପର ଅଣ୍ଡା ପ୍ରକୋଷ୍ଠରେ ଅଣ୍ଡା ଫୁଟି ସାପ ଜନ୍ମ ନିଏ ଓ ମା'ର ପେଟ ଭିତରେ ବଢ଼ୁଥାଏ । ଲାଉଡଙ୍କିଆ ସାପ ନିଜର ଗର୍ଭଧାରଣକୁ ବହୁ ସମୟ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ବିଳମ୍ବ କରାଇପାରେ । ଲଣ୍ଡନ ଚିଡ଼ିଆଖାନାରେ ଥିବା ଏକ ମାଈ ଲାଉଡଙ୍କିଆ ସାପକୁ ମିଳନ ପରେ ୧୮୮୫ ଅଗଷ୍ଟ ମାସରେ ଅଲଗା ଏକାକୀ ଭାବେ ରଖାଯାଇଥିଲା ଓ ଏହି ସାପଟି ୧୮୮୮ ମସିହା ଅଗଷ୍ଟ ମାସରେ ନିଜ ଶାବକକୁ ଜନ୍ମ ଦେଇଥିଲା ।[୩]
୧୮୯୦ ମସିହାରେ ପ୍ରକାଶିତ ବୌଲେଂଗର୍ଙ୍କ ଲେଖାରେ ନିମ୍ନ ବିବରଣୀ ପ୍ରଦତ୍ତ ହୋଇଛି:[୪] ମୁହଁ ଗୋଜିଆ ଓ ଛୋଟ ଥଣ୍ଟ ପରି । ଏହି ଥଣ୍ଟଟି ଏହାର ଆଖିଠାରୁ ମଧ୍ୟ ଛୋଟ ଓ ଗୋଟିଏ ରୋଷ୍ଟ୍ରାଲ୍ (rostral)ଦ୍ୱାରା ଗଠିତ । ଥଣ୍ଟ ବିନା ମୁହଁର ଗୋଜିଆ ଅଂଶର ଲମ୍ବ ଆଖିର ବ୍ୟାସର ଦୁଇଗୁଣ ପାଖାପାଖି ହେବ । ନାକ ଓ ଆଖି ମଧ୍ୟରେ କୌଣସି କାତି ନଥାଏ । ନାକପୁଡ଼ା ମଧ୍ୟବର୍ତ୍ତୀ ଓ ପ୍ରାକ୍ସମ୍ମୁଖ କାତି ପାଟିର କାତି ସହିତ ସଂଲଗ୍ନ । ଆଖିର ଆଗ ପଟକୁ ୨ଟି ଓ ପଛ ପଟକୁ ୨ଟି କାତି ରହିଥାଏ । କର୍ଣ୍ଣମୂଳ କାତି ସଂଖ୍ୟା ୧+୨ ବା ୨+୨ ହୋଇଥାଏ । ଉପର ପାଟିରେ ୮ଟି କାତି ଯାହାର ପଞ୍ଚମଟି ଉପରେ ଆଖି ରହିଥାଏ । ତଳ ପାଟିରେ ୪ଟି କାତି ରହିଥାଏ । କାତିମାନଙ୍କର ୧୫ଟି ପଂକ୍ତି ଦେଖିବାକୁ ମିଳିଥାଏ । ଏମାନଙ୍କ ଦୈର୍ଘ୍ୟ ପ୍ରାୟ ୫ ଫୁଟ୍ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଯେଉଁଥିରୁ ଲାଞ୍ଟି ପ୍ରାୟ ୨ ଫୁଟ୍ ଲମ୍ବା ।
ଲାଉଡଙ୍କିଆ ସାପର ବିଷ କେଉଁ କେଉଁ ରସାୟନିକ ପଦାର୍ଥରେ ଗଢ଼ା ତାହା ଅଜଣା । ଏହି ସାପର ବିଷ ଅତ୍ୟନ୍ତ ଶକ୍ତିଶାଳୀ ନୁହେଁ । କିନ୍ତୁ ଏହାର ବିଷ ପ୍ରଭାବରେ ଶରୀରର ଅଙ୍ଗ ଫୁଲିଯିବା, ଶୁଳେଇ ହେବା, ଅଙ୍ଗଟି ନିଷ୍ଚେତ ହୋଇଯିବା ଇତ୍ୟାଦି ପ୍ରକାରର କ୍ଷଣସ୍ଥାୟୀ ପ୍ରଭାବ ବା ପ୍ରତିକ୍ରିୟା ଦେଖାଦେଇପାରେ । ଏହି ସାପ କାମୁଡ଼ାର ପ୍ରଭାବ ୨-୩ ଦିନ ମଧ୍ୟରେ କମିଯିବା ଦେଖାଯାଇଛି । ଯଦି ମୁଣ୍ଡ, ଆଖି ବା ଅନ୍ୟ କୌଣସି ଅତ୍ୟନ୍ତ ଜରୁରୀ ଅଙ୍ଗ ଆଖାପାଖି ଏହି ସାପ କାମୁଡ଼ିଲେ ତାହା ମରଣାନ୍ତକ ହୋଇପାରେ ଓ ଦରକାର ପଡ଼ିଲେ କଟାଯିବା ମଧ୍ୟ ଆବଶ୍ୟକ ହୋଇପଡ଼େ । ତେଣୁ ଯେ କୌଣସି ସ୍ଥାନରେ ସାପ କାମୁଡ଼ିଲେ ତୁରନ୍ତ ଡାକ୍ତରଙ୍କ ପରାମର୍ଶ ନେବା ଜରୁରୀ । [୫][୬]
ଲାଉଡଙ୍କିଆ ସାପ (ଈଂରାଜୀରେ Green Vine Snake ଓ ଜୀବବିଜ୍ଞାନ ନାମ Ahaetulla nasuta) ଦେଖିବାକୁ ଅତ୍ୟନ୍ତ ପତଳା ଓ ସବୁଜ ରଙ୍ଗର । ଏହି ସାପ ସାଧାରଣତଃ ଗଛ, ଲତାରେ ବାସ କରେ ଓ ନିଜର ଛଳାବରଣ ଯୋଗୁଁ ଅତି ସହଜରେ ପରିଦୃଷ୍ଟ ହୁଏନାହିଁ । ଏହି ସାପର ଆଉ ଏକ ଈଂରାଜୀ ନାମ ହେଉଛି long-nosed whip snake (ଗୋଜିଆମୁହାଁ ବେତ ସାପ)। ଓଡ଼ିଶାରେ କେହି କେହି ଏହାକୁ କାଣ୍ଡ ନାଗ ବୋଲି ମଧ୍ୟ କୁହନ୍ତି । ଭାରତ, ଶ୍ରୀଲଙ୍କା, ବଙ୍ଗଳାଦେଶ, ବ୍ରହ୍ମଦେଶ, ଥାଇଲ୍ୟାଣ୍ଡ, କ୍ୟାମ୍ବୋଡ଼ିଆ ଓ ଭିଏତ୍ନାମ ଆଦି ଦେଶରେ ଏହି ପ୍ରଜାତିର ସାପ ବହୁ ସଂଖ୍ୟାରେ ଦେଖିବାକୁ ମିଳନ୍ତି ।
କେନ୍ଦ୍ରୀୟ ଓ ଦକ୍ଷିଣ ଆମେରିକାରେ ପରିଲକ୍ଷିତ ହେଉଥିବା ଲାଉଡଙ୍କିଆ ସାପ ଏହାଠାରୁ ଭିନ୍ନ ପ୍ରଜାତିର । ସେହି ସାପକୁ ମଧ୍ୟ ଈଂରାଜୀରେ "green vine snake" କୁହାଯାଏ କିନ୍ତୁ ତାହାର ଜୀବବିଜ୍ଞାନ ନାମଟି ହେଲା Oxybelis fulgidus ।
ଓଡ଼ିଶାରେ ଲାଉଡଙ୍କିଆ ସାପର ଏକ ଅନ୍ୟ ଉପ-ପ୍ରଜାତି ମଧ୍ୟ ଦେଖାଯିବା ବିଷୟ ପ୍ରକାଶ ପାଇଛି ଯାହାକୁ ବିଚିତ୍ର ଲାଉଡଙ୍କିଆ ସାପ ବୋଲି ସ୍ଥାନୀୟ ଲୋକେ କୁହନ୍ତି । ଏହି ଉପପ୍ରଜାତିର ମାଈମାନେ ମାଟିଆ ଓ ଅଣ୍ଡିରାମାନେ ସାଗୁଆ ରଙ୍ଗର ହୋଇଥାନ୍ତି । ଏହି ସାପର ମୁଣ୍ଡରେ ଏକ ଛୋଟ ମଣ୍ଡଳାକାର ଚିହ୍ନ ରହିଥାଏ । ଏହି ଉପପ୍ରଜାତିକୁ Ahaetulla nasuta anomala ବା Ahaetulla anomala ବୋଲି ମଧ୍ୟ କୁହାଯାଇଥାଏ ।
கண் குத்திப் பாம்பு அல்லது பச்சைப் பாம்பு (Ahaetulla nasuta) என்பது ஒரு ஆபத்தில்லா பாம்பு ஆகும். இப்பாம்பு ඇහැටුල්ලා (ahaetulla) என்று சிங்களத்தில் அழைக்கப்படுகிறது. இவை இந்தியா, இலங்கை, வங்கதேசம், பர்மா, தாய்லாந்து, கம்போடியா, வியட்நாம் போன்ற நாடுகளில் காணப்படுகிறது.
பச்சைப் பாம்புகள் ஒரு பகலாடி ஆகும். இதன் கடைவாயில் நச்சுப்பற்கள் உள்ளதால் தமது இரையைப் பிடித்து தனது வீரியமில்லாத நஞ்சை செலுத்திக் கொன்றுவிடும். இதன் உணவு தவளை, பல்லி, போன்றவை ஆகும். தான் அச்சுறுத்தப்படும்போது தனது கழுத்தையும், உடலையும் புடைத்துக் காண்பிக்கும். அப்போது செதில்களுக்கு இடையே கருமையும், வெண்மையும் கலந்த வரிவடிவத்தைக் காணலாம். மேலும் இவை தங்கள் வாயைத் திறந்து அச்சுறுத்தப்படும் திசையில் தங்கள் தலையை காட்டும். இதன் கூரான தலையைக் கொண்டு மனிதர்களின் கண்களைக் கொத்தி குருடாக்கிவிடும் என இந்தியாவின் தெற்குப் பகுதிகளில் (தமிழ்நாட்டில்) ஒரு கட்டுக்கதை உள்ளது. இந்தப் பாம்பு இனங்கள் முட்டைகளை தாயின் உடலில் உள்ளேயே வைத்து குஞ்சுகளை ஈனுகின்றன. இப்பாம்புகள் ஆண் துணை இல்லாமால்கூட சூல்தரித்து குட்டிகளைப் பெற்றெடுக்கும் திறனைப் பெற்றிருக்கலாம் எனக் கருதப்படுகிறது. லண்டன் உயிரியல் பூங்காவில் உள்ள ஒரு பெண் பாம்பு ஆகஸ்ட் 1885 ஆண்டிலிருந்து ஆண் துணையின்றி பிரித்து வைக்கப்பட்ட நிலையில், 1888 ஆம் ஆண்டு ஆகஸ்ட் மாதம் குட்டிகளை ஈன்றது.[1] இவை இலேசான நஞ்சினைக் கொண்டுள்ளன. இதனால் தீண்டப்பட்டவருக்கு மூன்று நாட்கள் வீக்கம் இருக்கும்.[2]
கண் குத்திப் பாம்பு அல்லது பச்சைப் பாம்பு (Ahaetulla nasuta) என்பது ஒரு ஆபத்தில்லா பாம்பு ஆகும். இப்பாம்பு ඇහැටුල්ලා (ahaetulla) என்று சிங்களத்தில் அழைக்கப்படுகிறது. இவை இந்தியா, இலங்கை, வங்கதேசம், பர்மா, தாய்லாந்து, கம்போடியா, வியட்நாம் போன்ற நாடுகளில் காணப்படுகிறது.