तालिसपत्र, बिरमी या ज़रनब (अंग्रेज़ी: yew, यू) कोणधारी वृक्षों का एक जीववैज्ञानिक कुल है जो पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध (हॅमिस्फ़ीयर) के पहाड़ी क्षेत्रों में मिलता है। इसकी बहुत सी (३० से ज़्यादा) जातियाँ हैं जिनमें से कुछ छोटे पेड़ हैं और कुछ झाड़ियाँ हैं। इनकी बहुत सी टहनियाँ होती हैं जिनपर सदाबहार पत्ते लगे होते हैं। भारतीय उपमहाद्वीप में यह वृक्ष हिमालय क्षेत्र में मिलते हैं।
इन पेड़ों पर लगे नर कोण बहुत छोटे होते हैं (२ से ५ मिलीमीटर)। मादा कोण भी छोटे होते हैं और उनमें सिर्फ़ एक बीज बनता है। जैसे-जैसे बीज पनपता है उसके बाहर एक छोटे फल जैसा लाल-सुर्ख़ चोला (बीजचोल या ऐरिल) बनता है। यह रसदार और मीठा होता है जिस वजह से चिड़ियाँ इसे बीज समेत खा लेती हैं और फिर दूर-दराज़ के इलाक़ों में बीज गिरा देती हैं। मनुष्यों के लिए तालिसपत्र के बीज बहुत ज़हरीले होते हैं इसलिए इन्हें कभी भी नहीं खाना चाहिए।
तालिसपत्र बहुत से नामों से जाना जाता हैं जिनमें 'बिरमी', 'भिरमी', 'थोना', 'सुर्ख़दार', 'लौठसल्ला', इत्यादि शामिल हैं।[1][2]
तालिसपत्र का प्रयोग आयुर्वेद चिकित्सा में हज़ारों वर्षों से होता आया है।[3] आधुनिक काल में इनके बीजों में मौजूद टैक्सोल (Taxol) नामक ज़हरीले रसायन का प्रयोग कैंसर के इलाज के लिए किया जाता है। दवाईयाँ बनाने के लिए इस रसायन की इतनी मांग है कि हिमालायाई तालिसपत्र के अस्तित्व को ही ख़तरा हो गया है।[4]
तालिसपत्र, बिरमी या ज़रनब (अंग्रेज़ी: yew, यू) कोणधारी वृक्षों का एक जीववैज्ञानिक कुल है जो पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध (हॅमिस्फ़ीयर) के पहाड़ी क्षेत्रों में मिलता है। इसकी बहुत सी (३० से ज़्यादा) जातियाँ हैं जिनमें से कुछ छोटे पेड़ हैं और कुछ झाड़ियाँ हैं। इनकी बहुत सी टहनियाँ होती हैं जिनपर सदाबहार पत्ते लगे होते हैं। भारतीय उपमहाद्वीप में यह वृक्ष हिमालय क्षेत्र में मिलते हैं।
इन पेड़ों पर लगे नर कोण बहुत छोटे होते हैं (२ से ५ मिलीमीटर)। मादा कोण भी छोटे होते हैं और उनमें सिर्फ़ एक बीज बनता है। जैसे-जैसे बीज पनपता है उसके बाहर एक छोटे फल जैसा लाल-सुर्ख़ चोला (बीजचोल या ऐरिल) बनता है। यह रसदार और मीठा होता है जिस वजह से चिड़ियाँ इसे बीज समेत खा लेती हैं और फिर दूर-दराज़ के इलाक़ों में बीज गिरा देती हैं। मनुष्यों के लिए तालिसपत्र के बीज बहुत ज़हरीले होते हैं इसलिए इन्हें कभी भी नहीं खाना चाहिए।