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गोडावण ( Hindi )

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राजस्थान का राज्य-पक्षी : गोडावण

गोडावण (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड ; वैज्ञानिक नाम : Ardeotis nigriceps) एक बड़े आकार का पक्षी है जो भारत के राजस्थान तथा सीमावर्ती पाकिस्तान में पाया जाता है। उड़ने वाले पक्षियों में यह सबसे अधिक वजनी पक्षी है। बड़े आकार के कारण यह शुतुरमुर्ग जैसा प्रतीत होता है। यह राजस्थान का राज्य पक्षी है। सोहन चिड़िया, हुकना, गुरायिन आदि इसके अन्य नाम हैं।

यह पक्षी भारत और पाकिस्तान के शुष्क एवं अर्ध-शुष्क घास के मैदानों में पाया जाता है। पहले यह पक्षी भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, ओडिशा एवं तमिलनाडु राज्यों के घास के मैदानों में व्यापक रूप से पाया जाता था। किंतु अब यह पक्षी कम जनसंख्या के साथ राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और संभवतः मध्य प्रदेश राज्यों में पाया जाता है। IUCN की संकटग्रस्त प्रजातियों पर प्रकाशित होने वाली लाल डाटा पुस्तिका में इसे 'गंभीर रूप से संकटग्रस्त' श्रेणी में तथा भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची 1 में रखा गया है। इस विशाल पक्षी को बचाने के लिए राजस्थान सरकार ने एक प्रोजेक्ट शुरू किया था। इस प्रोजेक्ट का विज्ञापन "मेरी उड़ान न रोकें" जैसे मार्मिक वाक्यांश से किया गया है। भारत सरकार के वन्यजीव निवास के समन्वित विकास के तहत किये जा रहे 'प्रजाति रिकवरी कार्यक्रम (Species Recovery Programme)' के अंतर्गत चयनित 17 प्रजातियों में गोडावण भी सम्मिलित है।

यह जैसलमेर के मरू उद्यान, सोरसन (बारां) व अजमेर के शोकलिया क्षेत्र में पाया जाता है। यह पक्षी अत्यंत ही शर्मिला है और सघन घास में रहना इसका स्वभाव है। यह पक्षी 'सोन चिरैया', 'सोहन चिडिया' तथा 'शर्मिला पक्षी' के उपनामों से भी प्रसिद्ध है। गोडावण का अस्तित्व वर्तमान में खतरे में है तथा इसकी बहुत ही कम संख्या बची हुई है अर्थात यह प्रजाति विलुप्ति की कगार पर[1] है।

यह सर्वाहारी पक्षी है। इसकी खाद्य आदतों में गेहूँ, ज्वार, बाजरा आदि अनाजों का भक्षण करना शामिल है किंतु इसका प्रमुख खाद्य टिड्डे आदि कीट है। यह साँप, छिपकली, बिच्छू आदि भी खाता है। यह पक्षी बेर के फल भी पसंद करता है।

राजस्थान में अवस्थित राष्ट्रीय मरु उद्यान में गोडावण की घटती संख्या को बढ़ाने के लिये आगामी प्रजनन काल में सुरक्षा के समुचित प्रबंध किए गए हैं।

राष्ट्रीय मरु उद्यान (डेज़र्ट नेशनल पार्क)

3162 वर्ग किमी. में फैले इस पार्क में बाड़मेर के 53 और जैसलमेर के 35 गाँव शामिल हैं। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह राजस्थान का सबसे बड़ा अभयारण्य है। इसकी स्थापना वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के अर्न्तगत वर्ष 1980-81 में की गई थी। राजस्थान में सर्वाधिक संख्या में गोडावण पक्षी इसी उद्यान में पाए जाते हैं। इसलिये इस अभयारण्य क्षेत्र को गोडावण की शरणस्थली भी कहा जाता है।

बाहरी कड़ियाँ

सन्दर्भ

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गोडावण ( Bihari languages )

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गोडावण (अंगरेजी: Great Indian bustard, बै॰:Ardeotis nigriceps) चिरइन के एगो प्रजाति बाटे। ई चिरई भारत आ सटल पाकिस्तानी इलाका में पावल जालीं। खुला इलाका के ई चिरई भारत के राष्ट्रीय पक्षी खातिर भी नामांकित हो भइल रहे।

लच्छन

गोडावण एगो भारी आ बड़ा आकार के चिरई होले।

इहो देखल जाय

संदर्भ

  1. BirdLife International (2013). "Ardeotis nigriceps". IUCN Red List of Threatened Species. Version 2013.2. International Union for Conservation of Nature. पहुँचतिथी 28 मई 2016.CS1 maint: Uses authors parameter (link)

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गोडावण: Brief Summary ( Bihari languages )

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गोडावण (अंगरेजी: Great Indian bustard, बै॰:Ardeotis nigriceps) चिरइन के एगो प्रजाति बाटे। ई चिरई भारत आ सटल पाकिस्तानी इलाका में पावल जालीं। खुला इलाका के ई चिरई भारत के राष्ट्रीय पक्षी खातिर भी नामांकित हो भइल रहे।

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गोडावण: Brief Summary ( Hindi )

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गोडावण (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड ; वैज्ञानिक नाम : Ardeotis nigriceps) एक बड़े आकार का पक्षी है जो भारत के राजस्थान तथा सीमावर्ती पाकिस्तान में पाया जाता है। उड़ने वाले पक्षियों में यह सबसे अधिक वजनी पक्षी है। बड़े आकार के कारण यह शुतुरमुर्ग जैसा प्रतीत होता है। यह राजस्थान का राज्य पक्षी है। सोहन चिड़िया, हुकना, गुरायिन आदि इसके अन्य नाम हैं।

यह पक्षी भारत और पाकिस्तान के शुष्क एवं अर्ध-शुष्क घास के मैदानों में पाया जाता है। पहले यह पक्षी भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, ओडिशा एवं तमिलनाडु राज्यों के घास के मैदानों में व्यापक रूप से पाया जाता था। किंतु अब यह पक्षी कम जनसंख्या के साथ राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और संभवतः मध्य प्रदेश राज्यों में पाया जाता है। IUCN की संकटग्रस्त प्रजातियों पर प्रकाशित होने वाली लाल डाटा पुस्तिका में इसे 'गंभीर रूप से संकटग्रस्त' श्रेणी में तथा भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची 1 में रखा गया है। इस विशाल पक्षी को बचाने के लिए राजस्थान सरकार ने एक प्रोजेक्ट शुरू किया था। इस प्रोजेक्ट का विज्ञापन "मेरी उड़ान न रोकें" जैसे मार्मिक वाक्यांश से किया गया है। भारत सरकार के वन्यजीव निवास के समन्वित विकास के तहत किये जा रहे 'प्रजाति रिकवरी कार्यक्रम (Species Recovery Programme)' के अंतर्गत चयनित 17 प्रजातियों में गोडावण भी सम्मिलित है।

यह जैसलमेर के मरू उद्यान, सोरसन (बारां) व अजमेर के शोकलिया क्षेत्र में पाया जाता है। यह पक्षी अत्यंत ही शर्मिला है और सघन घास में रहना इसका स्वभाव है। यह पक्षी 'सोन चिरैया', 'सोहन चिडिया' तथा 'शर्मिला पक्षी' के उपनामों से भी प्रसिद्ध है। गोडावण का अस्तित्व वर्तमान में खतरे में है तथा इसकी बहुत ही कम संख्या बची हुई है अर्थात यह प्रजाति विलुप्ति की कगार पर है।

यह सर्वाहारी पक्षी है। इसकी खाद्य आदतों में गेहूँ, ज्वार, बाजरा आदि अनाजों का भक्षण करना शामिल है किंतु इसका प्रमुख खाद्य टिड्डे आदि कीट है। यह साँप, छिपकली, बिच्छू आदि भी खाता है। यह पक्षी बेर के फल भी पसंद करता है।

राजस्थान में अवस्थित राष्ट्रीय मरु उद्यान में गोडावण की घटती संख्या को बढ़ाने के लिये आगामी प्रजनन काल में सुरक्षा के समुचित प्रबंध किए गए हैं।

राष्ट्रीय मरु उद्यान (डेज़र्ट नेशनल पार्क)

3162 वर्ग किमी. में फैले इस पार्क में बाड़मेर के 53 और जैसलमेर के 35 गाँव शामिल हैं। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह राजस्थान का सबसे बड़ा अभयारण्य है। इसकी स्थापना वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के अर्न्तगत वर्ष 1980-81 में की गई थी। राजस्थान में सर्वाधिक संख्या में गोडावण पक्षी इसी उद्यान में पाए जाते हैं। इसलिये इस अभयारण्य क्षेत्र को गोडावण की शरणस्थली भी कहा जाता है।

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ઘોરાડ ( Gujarati )

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ઘોરાડ (અંગ્રેજી : ધ ગ્રેટ ઈન્ડિયન બસ્ટાર્ડ ) એ ભારતીય ઉપખંડમાં જોવા મળતી પક્ષીઓની એક પ્રજાતિ છે. સ્વભાવે શાંત એવું આ પક્ષી ભારત દેશમાં પણ જોવા મળે છે. ગુજરાત, મહારાષ્ટ્ર, રાજસ્થાન, આંધ્ર પ્રદેશ, છત્તીસગઢ તેમ જ કર્ણાટક રાજ્યમાં આ પક્ષી જોવા મળે છે.

દેખાવ

આ પક્ષીનું કદ ઊંચું, પેટનો ભાગ ધોળો, ડોક લાંબી અને નહોર તેમ જ પગ મોર જેવા હોય છે. પુખ્ત વયના પક્ષીનું વજન ૮-૧૪ કિલોગ્રામ જેટલું હોય છે, જેમાં માદાનું વજન ઓછું, જ્યારે નરનું વજન વધારે હોય છે.

સંદર્ભો

  1. BirdLife International (2009). Ardeotis nigriceps. In: IUCN 2008. IUCN Red List of Threatened Species. Retrieved 14 February 2010.

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ઘોરાડ: Brief Summary ( Gujarati )

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ઘોરાડ (અંગ્રેજી : ધ ગ્રેટ ઈન્ડિયન બસ્ટાર્ડ ) એ ભારતીય ઉપખંડમાં જોવા મળતી પક્ષીઓની એક પ્રજાતિ છે. સ્વભાવે શાંત એવું આ પક્ષી ભારત દેશમાં પણ જોવા મળે છે. ગુજરાત, મહારાષ્ટ્ર, રાજસ્થાન, આંધ્ર પ્રદેશ, છત્તીસગઢ તેમ જ કર્ણાટક રાજ્યમાં આ પક્ષી જોવા મળે છે.

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கானமயில் ( Tamil )

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கானமயில், (Ardeotis nigriceps) இந்தியா, பாக்கிஸ்தானுக்கு உட்பட்ட உலர்ந்த புல்வெளி, வறண்ட புதர்க் காடுகளை வாழ்விடமாகக் கொண்ட பறவையாகும்.[2] இப்பறவை, வாழ்விட சீரழிவால் அற்றுப்போகும் நிலையின் விளிம்புக்குத் தள்ளப்பட்டுள்ளது. தற்போதைய கணிப்பின்படி 500க்கும் குறைவான கானமயில்களே உள்ளன. இப்பறவை இராசத்தான் மாநிலப்பறவையாகும்.

இந்தியாவின் பெரும்பாலான பகுதிகளில் வாழ்ந்த இப்பறவை தென்னிந்தியாவில் அற்றுப் போய்விட்டது. இதற்கு காரணம் இவற்றின் வாழிடமான இயற்கைப் புல்வெளிகளின் அழிவும் வேட்டையும் ஆகும். மேலும் இவை தரையில் இடும் முட்டைகளை தெருநாய்கள் உண்டுவிடுவதும் இவற்றின் இனப்பெருக்கத்துக்கு ஊரு செய்வதாக உள்ளது. 30 ஆண்டுகளுக்கு முன்னர் இந்தியாவில் 1500 முதல் 2000 என்ற எண்ணிக்கையில் இருந்த இப்பறவைகள் தற்போது 150 என்ற எண்ணிக்கை என்ற அளவில் குறைந்துவிட்டன.

விளக்கம்

கானமயிலானது நீண்ட வெள்ளைக் கழுத்துக் கொண்டதாகவும், பழுப்பு நிற உடலைக் கொண்டதாகவும், சுமார் 15 கிலோவரை வளரக்கூடியதாக இருக்கும். இப்பறவை தரையில் முட்டையிடக்கூடியது. இப்பறவையே உலகில் பறக்கக்கூடிய பறவைகளில் எடை மிகுந்த பறவை ஆகும்.[3]

மேற்கோள்கள்

  1. "Ardeotis nigriceps". பன்னாட்டு இயற்கைப் பாதுகாப்புச் சங்கத்தின் செம்பட்டியல். பன்னாட்டு இயற்கைப் பாதுகாப்புச் சங்கம். பார்த்த நாள் 16 மார்ச் 2019.
  2. தியடோர் சு.பாசுகரன் (திசம்பர் 2006). "சோலைபாடியும் கானமயிலும்". இன்னும் பிறக்காத தலைமுறைக்காக. சென்னை: உயிர்மை பதிப்பகம். பக். 103. ISBN 81-89912-01-1. "...கானமயில் என்று குறிப்பிடப்படும் பறவை எது? மயிலல்ல. தமிழ்நாட்டின் வறண்ட, நீரற்ற, புதர்க்காடுகளில் இருந்த The Great Indian Bustard தான் கானமயில்."
  3. சிட்டுக்குருவிக்கு உருகுகிறோம்; கானமயிலைத் தொலைத்துவிட்டோம்!, ஆதி வள்ளியப்பன், இந்து தமிழ் 2020. மார்ச். 21
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கானமயில்: Brief Summary ( Tamil )

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கானமயில், (Ardeotis nigriceps) இந்தியா, பாக்கிஸ்தானுக்கு உட்பட்ட உலர்ந்த புல்வெளி, வறண்ட புதர்க் காடுகளை வாழ்விடமாகக் கொண்ட பறவையாகும். இப்பறவை, வாழ்விட சீரழிவால் அற்றுப்போகும் நிலையின் விளிம்புக்குத் தள்ளப்பட்டுள்ளது. தற்போதைய கணிப்பின்படி 500க்கும் குறைவான கானமயில்களே உள்ளன. இப்பறவை இராசத்தான் மாநிலப்பறவையாகும்.

இந்தியாவின் பெரும்பாலான பகுதிகளில் வாழ்ந்த இப்பறவை தென்னிந்தியாவில் அற்றுப் போய்விட்டது. இதற்கு காரணம் இவற்றின் வாழிடமான இயற்கைப் புல்வெளிகளின் அழிவும் வேட்டையும் ஆகும். மேலும் இவை தரையில் இடும் முட்டைகளை தெருநாய்கள் உண்டுவிடுவதும் இவற்றின் இனப்பெருக்கத்துக்கு ஊரு செய்வதாக உள்ளது. 30 ஆண்டுகளுக்கு முன்னர் இந்தியாவில் 1500 முதல் 2000 என்ற எண்ணிக்கையில் இருந்த இப்பறவைகள் தற்போது 150 என்ற எண்ணிக்கை என்ற அளவில் குறைந்துவிட்டன.

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బట్టమేక పిట్ట ( Telugu )

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బట్టమేక పిట్ట కర్నూలు జిల్లాలోని రోళ్ళపాడు అభయారణ్యంలో కలదు. ప్రపంచంలో ప్రత్యేకమైన స్థానాన్ని సంపాదించుకున్న అరుదైన బట్టమేక పక్షిని నందికొట్కూరు నియోజకవర్గంలోని రోళ్లపాడు గ్రామంలో కలదు. రకం పక్షులు ఆంధ్రప్రదేశ్‌లో సుమారు 150 మాత్రమే ఉన్నాయి. గతంలో ఈ సంఖ్యగా అధికంగా వుండేదని, అయితే వేటగాళ్ల ఉచ్చులకు బలై వాటిసంఖ్య క్రమంగా తగ్గుతూ వస్తోందని అటవీశాఖాధికారులు చెబుతున్నారు. 1979లో బాంబేరిసెర్చ్ వారు పరిశోధించి బట్టమేక పక్షి ప్రాధాన్యతను గుర్తించారు. ప్రముఖ పక్షి శాస్తవ్రేత్త, నోబుల్ అవార్డు గ్రహిత సలీంఅలీ 1980లో రోళ్లపాడు వద్ద బట్టమేక పక్షిని సంరక్షించేందుకు చర్యలు తీసుకున్నారు. 1988లో ఈ ప్రాంతాన్ని వన్యప్రాణి అభయారణ్యంగా ప్రకటించి 600 హెక్టారుల భూమిని దీని కొరకు ఏర్పాటు చేశారు. అదేవిధంగా అలగనూరు గ్రామంవద్ద ఉన్న సుంకేసుల సమీపంలో 800 ఎకరాల భూమిని కేటాయించి వాటి సంరక్షణకు సిబ్బందిని నియమించారు. బట్టమేక పక్షి ఒక మీటరు పొడవు, సుమారు 15 నుండి 20 కిలోల బరువుతో ఉండి, పొడవాటి మెడకలిగి వుంటుంది. వీటిసంతతి చాలా అరుదుగా వృద్ధిచెందుతూ కేవలం ఏడాదికి ఒక గుడ్డు మాత్రమేపెట్టి దట్టమైన పొదల్లో 27 రోజుల గుడ్డును పొదుగు తుంది. బట్టమేక పక్షలు రైతులకు ఎంతో ఉపయోగకరంగా వుంటు పంటలను నాశనం చేసే క్రిమి కీటకాలను భుజిస్తూ, పంటలను సంరక్షిస్తుంటాయి.

విశేశాలు

వనరులు

చిత్రమాలిక

మూలాలు

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