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बच्छनाभ ( Hindi )

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बच्छनाभ या ऐकोनाइट (Aconite) रैननकुलेसी (Ranunculaceae) या बटरकप (Buttercup) कुल का पौधा है। यह उत्तरी गोलार्ध का देशज है। इसकी लगभग 100 जातियाँ ज्ञात हैं। भारत में भी इसकी कुछ जातियाँ पाई जाती हैं। ऐकोनाइट बहुत ही विषैला होता है। इसकी जड़ों, पत्तों, बीजों और कभी-कभी फूलों में भी विष रहता है। किंतु नियमित मात्रा में सेवन करने से इनमें औषधीय गुण होते हैं। ब्रिटेन में आकोनीटुम नापेल्लुस (Aconitum napellus L.) मान्य औषधि है। यह जाति तो भारत में नहीं होती, किंतु इसके वंश की अन्य जातियां पाई जाती हैं जो उतनी ही उपयोगी हैं। इसके फूलों का रंग बैंगनी-नीला से लेकर पीला और सफेद तक होता है, कुछ फूल द्विरंगी भी होते हैं। फूलों की सुंदर और टोप के आकार के होने के कारण बच्छनाभ के पेड़ उद्यानों की शोभा बढ़ाने के लिए लगाए जाते हैं।

बच्छनाभ का व्यवहार औषधियों में भी होता है। इसका लेप तंत्रिका शूल (Neuralgia) और आमवात (rhumatic pain) में प्रयुक्त होता है। अत: यह पीड़ाहारी होता है। मुखसेवन से यह स्वेदनकारी होता है। अत: ज्वर में शरीर के ताप को कम करता है, पर इसकी मात्रा बड़ी अल्प रहती है, अन्यथा यह घातक हो सकता है। इसकी जड़ों से टिंचर तैयार होता है और उस टिंचर का एक बार में पाँच बूंद से अधिक का व्यवहार नहीं किया जाता। अति विषाक्त होने के कारण इसके व्यवहार में बड़ी सावधानी बरती जाती है। डाक्टर की अनुमति के बिना इसका व्यवहार नहीं करना चाहिए। जो ऐकोनाइट ओषधि के लिए व्यवहृत होता है वह ऐकोनाइट नैपेलस (Aconite napellus) कहलाता है।

इसके विष का कारण एक ऐल्क्लॉयड है, जिसका नाम एकोनिटिन (aconitin) दिया गया है। यह शुद्धावस्था में प्राप्त किया गया है और इसकी संरचना भी मालूम कर ली गई है।

जातियाँ

अतीस

वैज्ञानिक नाम : आकोनीटुम हेटेरोफील्लुम (Aconitum heterophyllum Wall.) कश्मीरी - अतीस, अतिविष, पोदिस)

यह एक छोटा सा पौधा है जो उत्तर पश्चिम हिमालय में 2,000 से 4,000 मी ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाया जाता है। अतीस के प्रकंद ज्वर एवं ज्वर के बाद दुर्बलता दूर करने के लिए उपयोगी बताये जाते हैं। अतीस में बलवर्धक गुण तो अवश्य हैं, किंतु ज्वरनाशक के रूप में इसकी मान्यता अधिक नहीं है। यह अतिसार व पेचिश में भी उपयोगी है।

बनबलनाग

वैज्ञानिक नाम : आकोनीटुम कासमांथुम (Aconitum chasmanthum Stapf)

यह पौधा भी उसी क्षेत्र में पाया जाता है जहां अतीस होता है। यद्यपि इस पौधे के प्रकंदों में ब्रिटेन वाले अकोनाइट से उपयोगी तत्वों की मात्रा लगभग दस गुना अधिक होती है, फिर भी उनकी क्षमता उतनी नहीं होती। ब्रिटेन वाली जाति के स्थान पर बनबलनाग प्रयोग करने के लिए उपयुक्त बताया जाता है।

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बच्छनाभ: Brief Summary ( Hindi )

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बच्छनाभ या ऐकोनाइट (Aconite) रैननकुलेसी (Ranunculaceae) या बटरकप (Buttercup) कुल का पौधा है। यह उत्तरी गोलार्ध का देशज है। इसकी लगभग 100 जातियाँ ज्ञात हैं। भारत में भी इसकी कुछ जातियाँ पाई जाती हैं। ऐकोनाइट बहुत ही विषैला होता है। इसकी जड़ों, पत्तों, बीजों और कभी-कभी फूलों में भी विष रहता है। किंतु नियमित मात्रा में सेवन करने से इनमें औषधीय गुण होते हैं। ब्रिटेन में आकोनीटुम नापेल्लुस (Aconitum napellus L.) मान्य औषधि है। यह जाति तो भारत में नहीं होती, किंतु इसके वंश की अन्य जातियां पाई जाती हैं जो उतनी ही उपयोगी हैं। इसके फूलों का रंग बैंगनी-नीला से लेकर पीला और सफेद तक होता है, कुछ फूल द्विरंगी भी होते हैं। फूलों की सुंदर और टोप के आकार के होने के कारण बच्छनाभ के पेड़ उद्यानों की शोभा बढ़ाने के लिए लगाए जाते हैं।

बच्छनाभ का व्यवहार औषधियों में भी होता है। इसका लेप तंत्रिका शूल (Neuralgia) और आमवात (rhumatic pain) में प्रयुक्त होता है। अत: यह पीड़ाहारी होता है। मुखसेवन से यह स्वेदनकारी होता है। अत: ज्वर में शरीर के ताप को कम करता है, पर इसकी मात्रा बड़ी अल्प रहती है, अन्यथा यह घातक हो सकता है। इसकी जड़ों से टिंचर तैयार होता है और उस टिंचर का एक बार में पाँच बूंद से अधिक का व्यवहार नहीं किया जाता। अति विषाक्त होने के कारण इसके व्यवहार में बड़ी सावधानी बरती जाती है। डाक्टर की अनुमति के बिना इसका व्यवहार नहीं करना चाहिए। जो ऐकोनाइट ओषधि के लिए व्यवहृत होता है वह ऐकोनाइट नैपेलस (Aconite napellus) कहलाता है।

इसके विष का कारण एक ऐल्क्लॉयड है, जिसका नाम एकोनिटिन (aconitin) दिया गया है। यह शुद्धावस्था में प्राप्त किया गया है और इसकी संरचना भी मालूम कर ली गई है।

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