Labeo rohita és una espècie de peix de la família dels ciprínids i de l'ordre dels cipriniformes.
Els mascles poden assolir els 200 cm de longitud total.[3][4]
Es troba al Pakistan, l'Índia, Bangladesh, Birmània i Nepal.[3]
Der Rohu (Labeo rohita), engl. Rohu Carp, Indian Grass Carp, Rohi Dumra, Tambada Masa oder auf Bengali রুই gehört zu den großen Karpfenfischen in Südostasien.[1]
Auf Hindi/Urdu wird der Rohu Rehu genannt, ähnlich wie Rawas der indische Lachs. Auf Oriya heißt er Rohi, Rui auf Bengali, Rou auf Assamesisch und Sylheti, auf Malayalam wieder Rohu.
Der Rohu besitzt eine Rückenflosse mit 12 bis 14 verzweigten Flossenstrahlen. Er hat eine blaugrüne irisierende Färbung mit rötlichen Farben an den Flanken. Der Rohu kann maximal zwei Meter lang und 45 Kilogramm schwer werden.[1] Der offizielle IGFA Weltrekord liegt bei nur 5,70 Kilogramm aus dem Kaempeng Sen in Thailand.[2] Im thailändischen Khao Laem Reservoir wurde ein 15 Kilogramm und 92 Zentimeter langes Exemplar gefangen, im Srinakarin Reservoir ein 25 Kilogramm schwerer Fisch und das Endgewicht dieser Fischart wird auf 110 Kilogramm geschätzt.[3]
Der Rohu kommt in vielen Flüssen und Süßwasserseen Süd- und Südostasiens vor. Dabei toleriert er auch Brackwasser.[1] In Bangladesch und den indischen Bundesstaaten Orissa, Assam, Westbengalen, Bihar und Uttar Pradesh ist er besonders häufig. Außerdem findet man ihn in Thailand, Myanmar, Nepal und Pakistan.[1] Mittlerweile ist er Speisefisch in weiteren asiatischen Ländern, wie zum Beispiel dem Irak.
Der Rohu ist herbivor. Jungfische ernähren sich überwiegend von Zooplankton, stellen sich im Laufe ihrer Entwicklung jedoch mehr und mehr auf Phytoplankton um. Der Phytoplankton wird mithilfe seiner Kiemen gefiltert. Adulte Fische fressen auch Wasserpflanzen. Der Rohu zeigt eine tagaktive Lebensweise und lebt überwiegend als Einzelgänger. Nach zwei bis fünf Jahren ist der Fisch geschlechtsreif und laicht zu Beginn des Monsuns bevorzugt auf Überschwemmungsauen von Flüssen ab. Das Weibchen legt 200.000 bis zu 2 Millionen Fischeier ab.[1] Im Stillwasser vermehrt er sich nicht auf natürliche Weise, so dass in der Teichwirtschaft die Fortpflanzung künstlich induziert werden muss.
Der Rohu ist ein beliebter Speisefisch, der in Teichwirtschaften v. a. in Kerala gehalten wird und als Frischfisch auf den Markt kommt.[1] Der Rohu besitzt ein nicht öliges weißes Fleisch und gilt frittiert bei den Oriyas und Bengali als große Delikatesse und Vorspeise der typischen traditionellen Kost. Er wird als Potoler Dolma oder in Senföl als Kalia angeboten. Tok ist ein Gericht aus Tamarinden und Rohu-Filet. Auch in der Küche des Punjab und Lahore spielt er eine große Rolle. Bei den Kayastha in Uttar Pradesch gilt er sogar als heiliges Nahrungsmittel[4], welches nur bei bestimmten religiösen Gelegenheiten und Zeremonien verspeist werden darf. Außerdem ist der Rohu ein beliebter Angelfisch.[1]
Der Rohu (Labeo rohita), engl. Rohu Carp, Indian Grass Carp, Rohi Dumra, Tambada Masa oder auf Bengali রুই gehört zu den großen Karpfenfischen in Südostasien.
रोहू (वैज्ञानिक नाम - Labeo rohita) पृष्ठवंशी हड्डीयुक्त मछली है जो ताजे मीठे जल में पाई जाती है। इसका शरीर नाव के आकार का होता है जिससे इसे जल में तैरने में आसानी होती है। इसके शरीर में दो तरह के मीन-पक्ष (फ़िन) पाये जाते हैं, जिसमें कुछ जोड़े में होते हैं तथा कुछ अकेले होते हैं। इनके मीन पक्षों के नाम पेक्टोरेल फिन, पेल्विक फिन, (जोड़े में), पृष्ठ फिन, एनलपख तथा पुच्छ पंख (एकल) हैं। इनका शरीर साइक्लोइड शल्कों से ढँका रहता है लेकिन सिर पर शल्क नहीं होते हैं। सिर के पिछले भाग के दोंनो तरफ गलफड़ होते हें जो ढक्कन या अपरकुलम द्वारा ढके रहते हैं। गलफड़ों में गिल्स स्थित होते हैं जो इसका श्वसन अंग हैं। ढक्कन के पीछे से पूँछ तक एक स्पष्ट पार्श्वीय रेखा होती है। पीठ के तरफ का हिस्सा काला या हरा होता है और पेट की तरफ का सफेद। इसका सिर तिकोना होता है तथा सिर के नीचे मुँह होता है। इसका अंतः कंकाल हड्डियों का बना होता है। आहारनाल के ऊपर वाताशय अवस्थित रहता है। यह तैरने तथा श्वसन में सहायता करता है।
भोजन के रूप में इसका विशेष महत्व है। भारत में उड़ीसा, बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल तथा असम के अतिरिक्त थाइलैंड, पाकिस्तान और बांग्लादेश के निवासियों में यह सर्वाधिक स्वादिष्ट व्यंजनों में से एक समझी जाती है। उड़िया और बंगाली भोजन में इसके अंडों को तलकर भोजन के प्रारंभ में परोसा जाता है तथा परवल में भरकर स्वादिष्ट व्यंजन पोटोलेर दोलमा तैयार किया जाता है, जो अतिथिसत्कार का एक विशेष अंग हैं। बंगाल में इससे अनेक व्यंजन बनाए जाते हैं। इसे सरसों के तेल में तल कर परोसा जाता है, कलिया बनाया जाता है जिसमें इसे सुगंधित गाढ़े शोरबे में पकाते हैं तथा इमली और सरसों की चटपटी चटनी के साथ भी इसे पकाया जाता है। पंजाब के लाहौरी व्यंजनों में इसे पकौड़े की तरह तल कर विशेष रूप से तैयार किया जाता है। इसी प्रकार उड़ीसा के व्यंजन माचा-भाजी में रोहू मछली का विशेष महत्व है। ईराक में भी यह मछली भोजन के रूप में बहुत पसंद की जाती है। रोहू मछली शाकाहारी होती है तथा तेज़ी से बढ़ती है इस कारण इसे भारत में मत्स्य उत्पादन के लिए तीन सर्वश्रेष्ठ मछलियों[क] में से एक माना गया है।[1]
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में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद) क. ^ अन्य दो मछलियाँ हैं- कतला और नैन जिसे मृगल भी कहते हैं।
रोहू (वैज्ञानिक नाम - Labeo rohita) पृष्ठवंशी हड्डीयुक्त मछली है जो ताजे मीठे जल में पाई जाती है। इसका शरीर नाव के आकार का होता है जिससे इसे जल में तैरने में आसानी होती है। इसके शरीर में दो तरह के मीन-पक्ष (फ़िन) पाये जाते हैं, जिसमें कुछ जोड़े में होते हैं तथा कुछ अकेले होते हैं। इनके मीन पक्षों के नाम पेक्टोरेल फिन, पेल्विक फिन, (जोड़े में), पृष्ठ फिन, एनलपख तथा पुच्छ पंख (एकल) हैं। इनका शरीर साइक्लोइड शल्कों से ढँका रहता है लेकिन सिर पर शल्क नहीं होते हैं। सिर के पिछले भाग के दोंनो तरफ गलफड़ होते हें जो ढक्कन या अपरकुलम द्वारा ढके रहते हैं। गलफड़ों में गिल्स स्थित होते हैं जो इसका श्वसन अंग हैं। ढक्कन के पीछे से पूँछ तक एक स्पष्ट पार्श्वीय रेखा होती है। पीठ के तरफ का हिस्सा काला या हरा होता है और पेट की तरफ का सफेद। इसका सिर तिकोना होता है तथा सिर के नीचे मुँह होता है। इसका अंतः कंकाल हड्डियों का बना होता है। आहारनाल के ऊपर वाताशय अवस्थित रहता है। यह तैरने तथा श्वसन में सहायता करता है।
भोजन के रूप में इसका विशेष महत्व है। भारत में उड़ीसा, बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल तथा असम के अतिरिक्त थाइलैंड, पाकिस्तान और बांग्लादेश के निवासियों में यह सर्वाधिक स्वादिष्ट व्यंजनों में से एक समझी जाती है। उड़िया और बंगाली भोजन में इसके अंडों को तलकर भोजन के प्रारंभ में परोसा जाता है तथा परवल में भरकर स्वादिष्ट व्यंजन पोटोलेर दोलमा तैयार किया जाता है, जो अतिथिसत्कार का एक विशेष अंग हैं। बंगाल में इससे अनेक व्यंजन बनाए जाते हैं। इसे सरसों के तेल में तल कर परोसा जाता है, कलिया बनाया जाता है जिसमें इसे सुगंधित गाढ़े शोरबे में पकाते हैं तथा इमली और सरसों की चटपटी चटनी के साथ भी इसे पकाया जाता है। पंजाब के लाहौरी व्यंजनों में इसे पकौड़े की तरह तल कर विशेष रूप से तैयार किया जाता है। इसी प्रकार उड़ीसा के व्यंजन माचा-भाजी में रोहू मछली का विशेष महत्व है। ईराक में भी यह मछली भोजन के रूप में बहुत पसंद की जाती है। रोहू मछली शाकाहारी होती है तथा तेज़ी से बढ़ती है इस कारण इसे भारत में मत्स्य उत्पादन के लिए तीन सर्वश्रेष्ठ मछलियों में से एक माना गया है।
ৰৌ মাছ বা ৰ'হ' লেবিঅ' (roho labeo) হৈছে দক্ষিণ এচিয়াৰ নদী সমুহত পোৱা, কাৰ্প পৰিয়ালৰ অন্তৰ্গত মাছৰ এটা প্ৰজাতি। ই সৰ্বভোজী।[1] ইয়াৰ সৰ্বাধিক দৈৰ্ঘ্য 2 মিটাৰ (6.6 ফুট) পৰ্যন্ত আৰু ওজন প্ৰায় 110 কেজি (সাঁচ:Convert/পাউণ্ড) পৰ্যন্ত হয়। নেপালৰ দক্ষিণ অঞ্চলত সৰ্বাধিক ওজনৰ ৰৌ মাছ পোৱাত তথ্য আছে।[2] ভাৰতৰ তিনিবিধ প্ৰধান কাৰ্প পৰিয়ালৰ মাছ হৈছে ৰৌ মাছ, বাহু মাছ আৰু মিৰিকা মাছ।
জীৱন চক্ৰৰ আদিতে, ই প্ৰধানকৈ শৈৱাল ভক্ষণ কৰি জীয়াই থাকে, কিন্তু বয়স বঢ়াৰ লগে লগে, ই অন্য ক্ষুদ্ৰ জলজ উদ্ভিদ তথা ক্ষুদ্ৰ প্ৰাণীও ভক্ষণ কৰে।
ই কেৱল দিনৰ ভাগতহে সক্ৰিয় হৈ থাকে আৰু সাধাৰণতে অকলশৰীয়াকৈ থাকে। ই দুবছৰৰ পৰা পাঁচবছৰৰ ভিতৰত পুৰ্ণবয়স্ক হয়।
ই দক্ষিণ এচিয়াৰ মীন-পালনত ব্যৱহাৰ কৰা এটা অতি গুৰুত্বপূৰ্ণ নিৰ্মল পানীৰ মাছৰ প্ৰজাতি।[3]ইয়াক মিৰিকা আৰু বাহুৰ সৈতে সংমিশ্ৰিতভাৱে পালন কৰা হয়। পুখুৰীৰ পৰিৱেশত ই বংশবৃদ্ধি নকৰে, সেইবাবে প্ৰাণোদিত পদ্ধতিত (কৃত্ৰিমভাৱে কণী পাৰিবলৈ প্ৰেৰিত কৰা) ইহঁতৰ পোনা উৎপাদন কৰা হয়।
ৰৌ মাছ হৈছে বাংলাদেশত সাধাৰণতে খোৱা এবিধ খাদ্য ; আৰু ভাৰতৰ বিহাৰ, উৰিষ্যা, অসম, পশ্চিম বংগ আৰু উত্তৰ প্ৰদেশৰ এবিধ সাধাৰণ খাদ্য। ইয়াক নেপাল, পাকিস্থান আদিতো সাধাৰণ খাদ্য হিচাপে ব্যৱহাৰ কৰা হয়।
ৰৌ মাছৰ কণী, ভোজপুৰ, অন্ধ্ৰ প্ৰদেশ, মৈথিলী, উড়িয়া আৰু বেংগলীসকলৰ মাজত অতি জনপ্ৰিয় খাদ্য। ৰৌ মাছ দক্ষিণ ভাৰত আৰু পাকিস্থানৰো অতি জনপ্ৰিয় খাদ্য। ই ইৰাকতো বেছ জনপ্ৰিয়।
অন্য কাৰ্পতকৈ ভাৰতীয় কাৰ্পবোৰ অধিক সুস্বাদু বুলি বিবেচিত হৈছে আৰু সেইবাবে ইহঁতৰ চাহিদা তথা দামো বেছি। ১৯৯০ চনৰ পৰা ইহঁতৰ বাৰ্ষিক উৎপাদন প্ৰায় ২,৫০,০০০ টনৰ পৰা ৫,৫০,০০০ টনলৈ বৃদ্ধি হৈছে। ভাৰত আৰু বাংলাদেশতেই ইহঁতৰ সৰ্বাধিত উৎপাদন কৰা হয়।
এই মাছবিধক মৈথিলী আৰু নেপালীত ৰাহু বুলি কয়। হিন্দীত ৰেহু (ৰাৱাছ হৈছে ভাৰতীয় চলম’ন, অলপ বেলেগ) উৰিয়াত ৰ’হি, বঙালীত ৰুই, ছিলঠীয়াত ৰৌ, মাধেশ, নেপাল লগতে থাইলেণ্ড, বাংলাদেশ, দক্ষিণ ভাৰত , পাকিস্তান আৰু ম্যানমাৰত ৰ’হু বুলি কয়।
নিৰ্মল পানী আৰু লুনীয়া পানী।
ৰৌ মাছ বা ৰ'হ' লেবিঅ' (roho labeo) হৈছে দক্ষিণ এচিয়াৰ নদী সমুহত পোৱা, কাৰ্প পৰিয়ালৰ অন্তৰ্গত মাছৰ এটা প্ৰজাতি। ই সৰ্বভোজী। ইয়াৰ সৰ্বাধিক দৈৰ্ঘ্য 2 মিটাৰ (6.6 ফুট) পৰ্যন্ত আৰু ওজন প্ৰায় 110 কেজি (সাঁচ:Convert/পাউণ্ড) পৰ্যন্ত হয়। নেপালৰ দক্ষিণ অঞ্চলত সৰ্বাধিক ওজনৰ ৰৌ মাছ পোৱাত তথ্য আছে। ভাৰতৰ তিনিবিধ প্ৰধান কাৰ্প পৰিয়ালৰ মাছ হৈছে ৰৌ মাছ, বাহু মাছ আৰু মিৰিকা মাছ।
રોહુ એ એક પ્રકારની માછલી છે. જે નદીઓ તથા તળાવોમાં જોવા મળે છે. આ માછલી ખાસ કરીને દક્ષિણ એશિયા તથા દક્ષિણ-પુર્વ એશિયા નાં દેશોમાં જોવા મંળે છે. તે સ્વાદમાં ઘણી સ્વાદિષ્ટ હોય છે. તેને બાંગ્લાદેશ અને ભારતનાંપશ્ચિમ બંગાળ, ઓરિસ્સા, બિહાર અને ઉત્તર પ્રદેશમાં સ્વાદિષ્ટ વ્યંજન તરીકે બનાવવામાં આવે છે. અને ખાસ પ્રસંગો એ પરોસવામાં આવે છે.
તેને હિન્દી માંરેહુ (રોહુ ને ભારતની સાલ્મન માછલી કહેવામાં આવે છે.).ઉડીસી માં "રોહી, બંગાળી માં "રૂઇ",આસામી માં "રોઉ" કહેવાય છે. , આમ જોવા જાઓ તો "રોહુ" શબ્દ મલ્યાલમ ભાષાનો છે.અને કેરેલા માં તો તેનો ઉછેર વ્યવસાયીક રીતે ફાર્મ માં કરવામાં આવે છે. તે થાઇલેન્ડ, બાંગ્લાદેશા, ઉત્તર ભારત અને પાકિસ્તાન માં ઘણી પ્રસિધ્ધ છે. તે તેલ વગરની અને સફેદ માછલી છે
The roe of rohu is also considered as a delicacy by Oriyas and Bengalis. It is deep fried and served hot as an appetizer as part of an Oriya and Bengali meal. It is also stuffed inside pointed gourd to make potoler dolma which is considered a delicacy. Rohu is also served deep fried in mustard oil, as kalia which is a rich gravy made of concoction of spices and deeply browned onions and tok, where the fish is cooked in a tangy sauce made of tamarind and mustard. Rohu is also very popular in Northern India and Pakistan such as in the province of Punjab. In Lahore it is a specialty of Lahori cuisine in Lahori fried fish where it is prepared with batter and spices. It is also a very popular food fish in Iraq.
== == બાયોલોજી તેના જીવનચક્ર દરમ્યાન પ્રારંભિક તબક્કામાં છે, તે ખાય મુખ્યત્વે zooplankton છે, પરંતુ તે વધે છે, તે ખાય વધુ [ફિટોપ્લેન્કટોનની []], અને એક કિશોર કે વયસ્ક એક શાકાહારી સ્તંભ ફીડર છે, મુખ્યત્વે ફિટોપ્લેન્કટોનની આહાર અને જળમગ્ન વનસ્પતિ. તે સુધારાઈ ગયેલ છે, પાતળા વાળ જેવા છોકરી rakers, જે સૂચવે છે કે તે પાણી sieving દ્વારા ફીડ્સ.
તે દૈનિક અને સામાન્ય રીતે એકલું છે. તે બે અને પાંચ વર્ષ વચ્ચે જાતીય પરિપક્વતા પહોંચે છે. કુદરત, તે પૂર નદીઓના સીમાંત વિસ્તારોમાં spawns. જ્યારે સંસ્કારી, તે જાતિના નથી lentic પર્યાવરણોમાં, જેથી પ્રેરિત spawning જરૂરી બની જાય છે.
રોહુ એ એક પ્રકારની માછલી છે. જે નદીઓ તથા તળાવોમાં જોવા મળે છે. આ માછલી ખાસ કરીને દક્ષિણ એશિયા તથા દક્ષિણ-પુર્વ એશિયા નાં દેશોમાં જોવા મંળે છે. તે સ્વાદમાં ઘણી સ્વાદિષ્ટ હોય છે. તેને બાંગ્લાદેશ અને ભારતનાંપશ્ચિમ બંગાળ, ઓરિસ્સા, બિહાર અને ઉત્તર પ્રદેશમાં સ્વાદિષ્ટ વ્યંજન તરીકે બનાવવામાં આવે છે. અને ખાસ પ્રસંગો એ પરોસવામાં આવે છે.
તેને હિન્દી માંરેહુ (રોહુ ને ભારતની સાલ્મન માછલી કહેવામાં આવે છે.).ઉડીસી માં "રોહી, બંગાળી માં "રૂઇ",આસામી માં "રોઉ" કહેવાય છે. , આમ જોવા જાઓ તો "રોહુ" શબ્દ મલ્યાલમ ભાષાનો છે.અને કેરેલા માં તો તેનો ઉછેર વ્યવસાયીક રીતે ફાર્મ માં કરવામાં આવે છે. તે થાઇલેન્ડ, બાંગ્લાદેશા, ઉત્તર ભારત અને પાકિસ્તાન માં ઘણી પ્રસિધ્ધ છે. તે તેલ વગરની અને સફેદ માછલી છે
Fried Rohu dish, Bangladesh.The roe of rohu is also considered as a delicacy by Oriyas and Bengalis. It is deep fried and served hot as an appetizer as part of an Oriya and Bengali meal. It is also stuffed inside pointed gourd to make potoler dolma which is considered a delicacy. Rohu is also served deep fried in mustard oil, as kalia which is a rich gravy made of concoction of spices and deeply browned onions and tok, where the fish is cooked in a tangy sauce made of tamarind and mustard. Rohu is also very popular in Northern India and Pakistan such as in the province of Punjab. In Lahore it is a specialty of Lahori cuisine in Lahori fried fish where it is prepared with batter and spices. It is also a very popular food fish in Iraq.
== == બાયોલોજી તેના જીવનચક્ર દરમ્યાન પ્રારંભિક તબક્કામાં છે, તે ખાય મુખ્યત્વે zooplankton છે, પરંતુ તે વધે છે, તે ખાય વધુ [ફિટોપ્લેન્કટોનની []], અને એક કિશોર કે વયસ્ક એક શાકાહારી સ્તંભ ફીડર છે, મુખ્યત્વે ફિટોપ્લેન્કટોનની આહાર અને જળમગ્ન વનસ્પતિ. તે સુધારાઈ ગયેલ છે, પાતળા વાળ જેવા છોકરી rakers, જે સૂચવે છે કે તે પાણી sieving દ્વારા ફીડ્સ.
તે દૈનિક અને સામાન્ય રીતે એકલું છે. તે બે અને પાંચ વર્ષ વચ્ચે જાતીય પરિપક્વતા પહોંચે છે. કુદરત, તે પૂર નદીઓના સીમાંત વિસ્તારોમાં spawns. જ્યારે સંસ્કારી, તે જાતિના નથી lentic પર્યાવરણોમાં, જેથી પ્રેરિત spawning જરૂરી બની જાય છે.
ரோகு (Rohu அல்லது roho labeo (Labeo rohita, இந்தி (ம)நேபாளத்தில்- रोहू मछली, ஒடியா- ରୋହୀ,) மீன் கெண்டை வகையைச் சேர்ந்த மீனாகும். இது ஒரு நன்னீர் மீன். இது சுவை மிகுந்த மீனாகும்.இது மிக விரைவாக வளரக்கூடியது. இவை அதிகப் பட்சம் 3 அடி நீளம் உடையது. 30 கிலோ எடையளவுக்கு வளரும். இதன் குஞ்சுகளை அணை, ஏரி போன்றவற்றில் வீட்டு உணவுக்காக வளர்ப்பார்கள்.
இம்மீனின் தலை கடலாவின் தலையைவிட சிறியது.இம்மீனின் கீழ் உதடு சுருக்கங்களுடன் காணப்படும், இம்மீனின் வாய் நேராக திறந்திருக்கும், இதன் செதில்கள் கருஞ்சிவப்பு நிறத்தில் இருக்கும்.
இது குளத்தின் நடு அல்லது இடைமட்டத்தில் உள்ள, தாவர விலங்கின நுண்ணுயிர்களை உண்டு வளருகிறது. இது ஓர் ஆண்டில்3/4 முதல் 1 கிலோ வரை வளரும் திறன் கொண்டவை.[1]
இம்மீன்கள் இரண்டாம் ஆண்டில் இன முதிர்ச்சி அடைந்து, தென்மேற்கு பருவமழைக்காலமான ஜூன், ஜூலை, ஆகஸ்ட்டு ஆகிய மாதங்களில் இனப்பெருக்கம் செய்யும். தூண்டுதல் முறையில் தேவையான அளவு குஞ்சுகளை உற்பத்தி செய்யலாம்.
காலைக்கதிர் 25.12.2014, ஒருங்கிணைந்த மீன்வளர்பிற்கேற்ற நன்னீர் மீன்வகைகள். செய்திக்கட்டுரை
ரோகு (Rohu அல்லது roho labeo (Labeo rohita, இந்தி (ம)நேபாளத்தில்- रोहू मछली, ஒடியா- ରୋହୀ,) மீன் கெண்டை வகையைச் சேர்ந்த மீனாகும். இது ஒரு நன்னீர் மீன். இது சுவை மிகுந்த மீனாகும்.இது மிக விரைவாக வளரக்கூடியது. இவை அதிகப் பட்சம் 3 அடி நீளம் உடையது. 30 கிலோ எடையளவுக்கு வளரும். இதன் குஞ்சுகளை அணை, ஏரி போன்றவற்றில் வீட்டு உணவுக்காக வளர்ப்பார்கள்.
ငါးမြစ်ချင်းသည် ငါးသိုင်းမျိုးဖြစ်၍ 'စိုင်ပရီနီဒီး'မျိုးရင်းတွင် ပါဝင်သည်။ပါဏဗေဒအလိုအားဖြင့် ငါးမြစ်ချင်းကို 'လေဗအိုရို ဟီတာ'ဟုခေါ်သည်။ ငါးကိုယ်သည် ရှည်လျား၍ အမြီး ဖက်သို့ ရှူးသွားသည်။ နှာတံမှာ မချွန်ဘဲ ထိပ်လုံးဖြစ်၍ မေးရိုးအရှေ့သို့ အနည်းငယ်ထွက်နေသည်။ နှုတ်ခမ်းမှာထူ၏။ နှုတ်သီး မွေးတိုတို ၂ စုံပါရှိသည်။ အမြီးခွသည် ရှည်ထွက် နေသည်။ အရောင်မှာ ကျောဖက်တွင် ပြာလဲ့လဲ့ သို့မဟုတ် အညိုရောင်ရှိပြီး ဘေးနှင့် အောက်ဖက်တွင် ငွေရောင်ရှိသည်။ အချို့ငါးမြစ်ချင်းများတွင် အကြေးခွံ၌ အစက်တစ်ခုစီပါသည်။ ဆူးတောင်များမှာ အနီရောင် သို့မဟုတ် အမည်းရောင်ရှိသည်။ ငါးမြစ်ချင်းသည် အရှည် ၃ ပေ သို့မဟုတ် ၃ ပေကျော်ကျော် အထိ ကြီးထွားသည်။ [၁]
The rohu, rui, ruhi or roho labeo (Labeo rohita) is a species of fish of the carp family, found in rivers in South Asia. It is a large omnivore and extensively used in aquaculture.
The rohu is a large, silver-colored fish of typical cyprinid shape, with a conspicuously arched head. Adults can reach a maximum weight of 45 kg (99 lb) and maximum length of 2 m (6.6 ft),[2] but average around 1⁄2 m (1.6 ft).
The rohu occurs in rivers throughout much of northern and central and eastern India,[3] Pakistan, Vietnam, Bangladesh, Nepal and Myanmar, and has been introduced into some of the rivers of Peninsular India and Sri Lanka.[1][2]
The species is an omnivore with specific food preferences at different life stages. During the early stages of its lifecycle, it eats mainly zooplankton, but as it grows, it eats more and more phytoplankton, and as a juvenile or adult is a herbivorous column feeder, eating mainly phytoplankton and submerged vegetation. It has modified, thin hair-like gill rakers, suggesting that it feeds by sieving the water.[4]
Rohu reach sexual maturity between two and five years of age. They generally spawn during the monsoon season, keeping to the middle of flooded rivers above tidal reach. The spawning season of rohu generally coincides with the southwest monsoon. Spawn may be collected from rivers and reared in tanks and lakes.[2]
The rohu is an important aquacultured freshwater species in South Asia.[5] When cultured, it does not breed in lake ecosystems, so induced spawning is necessary.[6][7] The rohu is also prized as a game fish.[1]
Rohu is very commonly eaten in Bangladesh, Nepal, Pakistan and the Indian states of Tripura, Nagaland, Bihar, Odisha, Assam, West Bengal, Andhra Pradesh, Tamilnadu and Uttar Pradesh.[3] A recipe for fried Rohu fish is mentioned in Manasollasa, a 12th-century Sanskrit encyclopedia compiled by Someshvara III, who ruled from present-day Karnataka. In this recipe, the fish is marinated in asafoetida and salt after being skinned. It is then dipped in turmeric mixed in water before being fried.[8]
Rohu caught in Mithila are known as Mithila Rohu Machh (Maithili: मिथिला रोहु माछ) and considered tastier than the Rohu varieties found in the coastal areas. The Bihar State government is currently making efforts to establish a List of geographical indications in India (GI) tag for the fish.[9][10]
Rohu is rich in Omega 3 fatty acids, Vitamin A, Vitamin B and Vitamin C.[11] It is also rich in Vitamin D, a Vitamin which is present only in a few foods and consumption of the fish will prevent Osteoporosis, a Vitamin D deficiency disease.[12]
The rohu, rui, ruhi or roho labeo (Labeo rohita) is a species of fish of the carp family, found in rivers in South Asia. It is a large omnivore and extensively used in aquaculture.
El rohu (Labeo rohita) es una especie de peces de la familia de los Cyprinidae en el orden de los Cypriniformes.
Los machos pueden llegar alcanzar los 200 cm de longitud total.[2][3]
Es un pez de agua dulce.
Se encuentra en Pakistán, India, Bangladés, Birmania, Nepal y Cuba
El rohu (Labeo rohita) es una especie de peces de la familia de los Cyprinidae en el orden de los Cypriniformes.
Labeo rohita Labeo generoko animalia da. Arrainen barruko Actinopterygii klasean sailkatzen da, Cyprinidae familian.
Labeo rohita Labeo generoko animalia da. Arrainen barruko Actinopterygii klasean sailkatzen da, Cyprinidae familian.
Labéo Roho
Labeo rohita, communément appelé Labéo Roho[2] en français, est une espèce de poissons d'eau douce essentiellement d'Asie, proche de la carpe, qui appartient à la famille des Cyprinidés. Son nom vernaculaire hindi est Rohu, et il est aussi nommé Rui au Bengale et au Bengladesh et Rou en Inde du Nord-Est. Attention, il ne doit pas être confondu avec Rawas, un saumon indien.
L'espèce Labeo rohita a été initialement décrite en 1822 par le zoologiste écossais Francis Buchanan-Hamilton (1762-1829) sous le protonyme de Cyprinus rohita[1].
Cette espèce est présente au Pakistan, au Népal, en Inde, au Sri Lanka, au Bangladesh et en Birmanie[3].
Labeo rohita peut mesurer jusqu'à 200 cm de longueur totale et peser jusqu'à 45 kg[2]. Son espérance de vie maximale est de 10 ans[2].
70 % des échantillons de rohu collectés sur des marchés locaux de Dacca, capitale du Bengladesh, étaient contaminés par du formol (carcinogénique) - une proportion de contamination 20 % plus importante que les quatre autres espèces de poissons les plus courantes analysées dans la même étude[4].
Ce poisson fait l'objet d'une aquaculture importante. En 2006 il tenait le 7e rang parmi les poissons les plus élevés dans le monde, à égalité avec la Catla[5].
Culinairement parlant, il est considéré comme un poisson blanc non gras.
Son épithète spécifique, rohita, est présumé être un nom bengali local et ce dans la mesure où Hamilton avait pour habitude de reprendre les noms vernaculaires pour nommer les espèces décrites[6].
Labéo Roho
Labeo rohita, communément appelé Labéo Roho en français, est une espèce de poissons d'eau douce essentiellement d'Asie, proche de la carpe, qui appartient à la famille des Cyprinidés. Son nom vernaculaire hindi est Rohu, et il est aussi nommé Rui au Bengale et au Bengladesh et Rou en Inde du Nord-Est. Attention, il ne doit pas être confondu avec Rawas, un saumon indien.
Labeo Rohita eða Rohu eins og hann er oft kallaður er tegund af ætt vatnakarpa. Hann finnst aðalega í ám og fersksvatni í suður og suð-austur Asíu. Rohu fiskeldi má finna víðsvegar um Asíu og má segja að lang mestur afli fáist úr eldi.
Rohu er grásvartur að ofan og silfurhvítur að neðan. Hann er með stór augu og stórar varir en labium þýðir „varir“ á latínu. Þrátt fyrir stórar varir hafa þeir lítinn munn og engar tennur í kjálka. Rohu lifir ekki nema í tíu ár og er hann því fljótur að vaxa, á fyrsta ári nær hann allt að 45 cm og 800g en hann getur náð allt að tveimur metrum á lengd og 45 kg þó er meðalþyngd hans í kringum 10-15 kg. Rohu lifir ekki í vatni sem er kaldara en 14° C. Hann er jurtaæta og nærist aðalega í dagsbirtu. Frá apríl til september er hrygningar tímabil Rohu en það er kallað monsson-tímabilið.
Mikið er um fiskeldi á Labeo Rohita en myndin hér að neðan sýnir helstu löndin sem framleiða hann í fiskeldi. Indland er lang stærsti framleiðandinn en Banglades og Myanmlar fylgja þar fast á eftir, Nepal ,Laos og Tæland eru með töluvert minni framleiðslu. Lönd eins og Kína, Sri Lanka, Víetnam, Kambódía og Malasía eru hvað minnst í framleiðslu á Rohu en eru sífelt að verða stærri.
Framleiðslan á Rohu á sér stað í tjörnum og tönkum sem eru yfirleitt mjög lítil og eru því margir bændur á Indlandi að græða á því að rækta Rohu en þeir kaupa unga fiska/fræ og framleiða þá í litlum tjörnum eða tönkum og fæða þá. Svo eftir um það bil ár eru fiskarnir orðnir nægilega stórir til að selja.
Rohu er mikilvægasta tegund karpa í Indlandi vegna þess hve markaðsvirðið er hátt í samræmi við viðhaldskostnað. Á Indlandi er hann er að mestu leiti seldur ferskur á mörkuðum, þó eitthvað af honum er sett á ís og er svo sendur með sendibílum í allt að 2000 – 3000 kílómetra fjarlægð. Helsta markaðssetningin er innanbæjar á mörkuðum þar sem hann er seldur ferskur. En frysti fiskurinn er töluvert minna virði en sá ferski. Rohu er yfirleitt seldur í 1 kg pakkningum eða meira. Nýlega var byrjað að flytja Rohu frá Indlandi til Kanada og Bretlands en þó í litum mæli. Líklegt er að Rohu verði enn mikilvægara fiskeldi í náinni framtíð en nýlegar rannsóknir sýna fram á aukna eftirspurn með fjölbreyttara framboði.
Rohu er ekki bara á góðu verði heldur inniheldur hann mikið af omega-3 fitusýrum ásamt því að innihalda einstaklega mikið af próteinum og lágum fitustuðli. Ef maður veiðir fiskinn sjálfur getur maður geymt hann í sjö til tíu daga í kæli en ef hann er keyptur á markaði endist hann ekki í nema þrjá til fjóra daga í kæli.
Labeo Rohita eða Rohu eins og hann er oft kallaður er tegund af ætt vatnakarpa. Hann finnst aðalega í ám og fersksvatni í suður og suð-austur Asíu. Rohu fiskeldi má finna víðsvegar um Asíu og má segja að lang mestur afli fáist úr eldi.
Labeo rohita Hamilton, 1822 è un pesce d'acqua dolce appartenente alla famiglia Cyprinidae.
È anche noto con il nome di rawas in Hindi, rui in Bengali, rou in Assamese ed è popolare in Thailandia, Pakistan, Bangladesh, Orissa, Bengala Occidentale, Assam, e la regione indiana di Konkan.
Questo pesce è diffuso in fiumi e laghi d'acqua dolce nell'Asia meridionale e nel Sud-Est Asiatico (dal Pakistan al Myanmar). Attualmente è anche allevato in altre zone dell'Asia in acquacoltura.
Presenta un corpo robusto, poco compresso ai fianchi. La forma è quella tipica del ciprinide di fiume. La bocca è grossa, l'occhio piuttosto piccolo. Le pinne sono robuste, la coda è bilobata. La livrea è bruno-rossastra, con riflessi argentei, più chiara sul dorso. Le scaglie sono orlate di bruno, e formano un reticolo ben visibile. Le pinne sono rossastre.
Raggiunge una lunghezza di 2 metri, per 45 kg di peso massimo.
La femmina gravida può deporre da 226.000 a 2.790.000 uova, secondo le dimensioni e il peso delle femmine. La deposizione e la fecondazione avvengono nelle pianure inondate dalla stagione monsonica.
È ampiamente pescato nei paesi d'origine sia per l'alimentazione commerciale che per la pesca sportiva. Le uova del rohu sono anche considerate una prelibatezza dai bengalesi.
Labeo rohita Hamilton, 1822 è un pesce d'acqua dolce appartenente alla famiglia Cyprinidae.
È anche noto con il nome di rawas in Hindi, rui in Bengali, rou in Assamese ed è popolare in Thailandia, Pakistan, Bangladesh, Orissa, Bengala Occidentale, Assam, e la regione indiana di Konkan.
De Rohu (Labeo rohita) is een straalvinnige vis uit de familie van eigenlijke karpers (Cyprinidae) en behoort derhalve tot de orde van karperachtigen (Cypriniformes). De vis kan een lengte bereiken van 200 cm. De hoogst geregistreerde leeftijd is 10 jaar.
Labeo rohita komt voor in zoet en brak water. De vis prefereert een tropisch klimaat. Het verspreidingsgebied beperkt zich tot Azië. De diepteverspreiding is 0 tot 5 m onder het wateroppervlak.
Labeo rohita is voor de visserij van groot commercieel belang. Vooral in Myanmar wordt veel Rohu gekweekt en geëxporteerd naar landen in het Midden-Oosten. In de hengelsport wordt er weinig op de vis gejaagd.
De Rohu (Labeo rohita) is een straalvinnige vis uit de familie van eigenlijke karpers (Cyprinidae) en behoort derhalve tot de orde van karperachtigen (Cypriniformes). De vis kan een lengte bereiken van 200 cm. De hoogst geregistreerde leeftijd is 10 jaar.
Cá trôi Ấn Độ hay còn gọi là Rohu hay roho labeo (tên khoa học Labeo rohita, Bihar - रोहू मछली, Oriya - ରୋହୀ,) (tiếng Urdu - رہو) là một loài cá trong họ Cá chép được tìm thấy ở vùng Nam Á[1] Đây là một loài cá ăn tạp[2] Cá trôi Ấn Độ phân bố tự nhiên ở hệ thống sông Hằng và phía Bắc Ấn Độ.
Chúng là loài khá hiền, là loài cá sống ở gần đáy, thích ở nơi nước ấm. Giai đoạn nhỏ cá ăn động vật phù du cỡ nhỏ như động vật nguyên sinh, trùng bánh xe, tảo đơn bào, giáp xác chân chèo, bọ kiếm, kể cả ấu trùng côn trùng, chúng còn ăn các loại cám gạo, hạt ngũ cốc, các loại bèo dâu, bèo tấm, các loại rau. Cá trôi Ấn Độ có tốc độ lớn nhanh, trong điều kiện ao nuôi có màu tối được bón phân và thức ăn đầy đủ, 1 năm thường đạt 0.5 kg – 1 kg. Chúng to bằng ngón tay áp út, còn màu trên lưng cá thì xanh đậm đen, giống cá duồn.
Cá trôi Ấn Độ khi còn nhỏ cỡ đầu đũa nhìn rất giống cá linh non. Đặc biệt, với người ít nhìn thấy loài cá này rất dễ nhầm. Tuy nhiên, có một số đặc điểm để phân biệt hai loại cá này là: cá trôi Ấn Độ có đầu to, mình dẹp, vây kỳ màu xanh, đuôi màu đen, hàng vảy trên sống lưng màu sậm đen.[3] Ở Việt Nam, loài cá này thường được dùng để đánh tráo với loài cá linh, nó được dùng làm giả làm cá linh non bán giá cao để lừa đảo người tiêu dùng, Lợi dụng sở thích ăn cá linh non đầu mùa, một số thương lái ở An Giang đã đưa cá trôi Ấn Độ ra thì trường và nói dối là cá linh non.[3]
Cá có thân cân đối, dẹp bên, thuôn dần về phía đuôi. Đầu múp, dài vừa phải. Mõm tù, hơi nhô ra, không có đường gấp nếp. Miệng ở phía trước và kế dưới, hình vòng cung. Rạch miệng nông, chỉ tối đường thẳng giữa mõm và mũi. Viền môi trên và dưới phủ lớp thịt có tua khía hoặc gai thịt xếp thành hàng. Hàm dưới phủ chất sừng. Môi dưới và hàm dưới có rãnh ngăn cách. Rãnh sau môi hoàn toàn và liên tục. Có hai đôi râu, một đôi râu nhỏ ở góc hàm và một đôi râu mõm rất nhỏ.
Mắt vừa phải, nằm ở hai bên và phần trước của đầu. Khoảng cách mắt rộng, khum. Đỉnh đầu nhẵn.Lỗ mũi ở gần mắt hơn mút mõm. Màng mang hẹp, liền với eo. Rãnh hầu hình vát chéo. Lược mang hình kim, ngắn. Khởi điểm vây lưng trước khởi điểm vây bụng, gần mút mõm hơn gốc vây đuôi, viền sau hơi lõm. Vây ngực nhọn chưa tới vây bụng. Vây bụng chưa tới vây hậu môn. Vây hậu môn tới gốc vây đuôi. Vây đuôi phân làm hai thuỳ bằng nhau. Lỗ hậu môn ngay trước vây hậu môn. Đường bên hoàn toàn, hơi cong xuống ở 5 vẩy phía trước, sau đó chạy thẳng giữa thân đến cuống đuôi.
Vẩy tròn, vừa phải xếp chặt chẽ trên thân. Bụng và sống lưng đều phủ vẩy. Gốc vây lưng có phủ vẩy nhỏ. Gốc vây bụng có vẩy nách rất nhỏ. Lưng màu xanh thẫm, hông và bụng trắng bạc. Phần trên đầu có màu xám, bụng trắng. Môi và mõm trắng. Viền mắt đỏ, các vây xám nhạt. Mùa phát dục trên mỗi vẩy thường có một đốm đỏ. Các vây ngực, vây bụng, vây hậu môn và vây đuôi có màu hồng, vây lưng chỉ phớt hồng.
Cá trôi Ấn Độ hay còn gọi là Rohu hay roho labeo (tên khoa học Labeo rohita, Bihar - रोहू मछली, Oriya - ରୋହୀ,) (tiếng Urdu - رہو) là một loài cá trong họ Cá chép được tìm thấy ở vùng Nam Á Đây là một loài cá ăn tạp Cá trôi Ấn Độ phân bố tự nhiên ở hệ thống sông Hằng và phía Bắc Ấn Độ.