निकोबार मॅगापोड या निकोबारी जंगली मुर्ग (Nicobar Megapode या Nicobar Scrubfowl) (Megapodius nicobariensis) भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के निकोबार के द्वीपों में पाया जाता है। इसकी २ उपजातियाँ निकोबार के १४ द्वीपों में पाई जाती हैं जो इस प्रकार हैं:-
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह दक्षिण पूर्वी एशिया के ज़्यादा निकट होने की वजह से पहले यह म्यानमार के कुछ तटवर्ती इलाकों में पाया जाता था, लेकिन अब वहाँ से विलुप्त हो गया है। दिसम्बर २००४ की सूनामी के बाद इनकी संख्या में भारी गिरावट देखी गई थी लेकिन बाद के वर्षों में इनकी संख्या में सुधार हुआ है, हालांकि अब भी मनुष्य द्वारा इनके इलाके का अतिक्रमण करने की वजह से इनको भारी ख़तरा है।[1]
यह मुर्गनुमा पक्षी तकरीबन ५५० ग्राम से १ कि. तक वज़नी होता है और इसकी लम्बाई तकरीबन ३७.५ से ४१ से.मी. तक होती है।[2] इस पक्षी के शरीर के पंख भूरे रंग के होते हैं जो हल्के भूरे से गाढ़े भूरे तक हो सकते हैं। सिर गर्दन तक लगभग पंखहीन होता है और सलेटी रंग का होता है। आँखों के चारों ओर लाली होती है जो अलग-अलग पक्षियों में हल्के से लेकर गाढ़ी तक हो सकती है। चोंच अमूमन पीली ही होती है।[3]
दिन के समय यह पक्षी खुले में आना पसन्द नहीं करता है। निकोबार के उन द्वीपों में जहाँ यह पक्षी पाया जाता है, जंगल समुद्र तट से सौ मीटर की दूरी में ही पाया जाता है। अतः दिन के समय यह इन जंगलों में छिपा रहता है लेकिन शाम होने पर यह समुद्र तट में घूमता है और छोटे घोंघे, झींगे इत्यादि खाता है। चौंकने पर यह ज़मीन पर ही भागना पसन्द करता है लेकिन खतरा बढ़ने पर यह उड़ जाता है।[2][3]
यह पक्षी कोई घोंसला नहीं बनाता है बल्कि ज़मीन पर ही रेत और पत्तियाँ इकट्ठा करके एक गोलाकार ढेर बना लेता है और उसी में अपने अण्डे देता है। यह एक साथ अण्डे न देकर थोड़े-थोड़े समय के अन्तराल में ४ से ५ अण्डे देता है हालांकि कुछ ढेरों में दस तक भी अण्डे पाए गये हैं। साल में अण्डे देने के समय को लेकर अभी भी यक़ीन से कुछ भी कहा नहीं जा सकता है।[3]
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में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद) |accessdate=
में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद) निकोबार मॅगापोड या निकोबारी जंगली मुर्ग (Nicobar Megapode या Nicobar Scrubfowl) (Megapodius nicobariensis) भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के निकोबार के द्वीपों में पाया जाता है। इसकी २ उपजातियाँ निकोबार के १४ द्वीपों में पाई जाती हैं जो इस प्रकार हैं:-
ऍम.ऍन. ऍबॉटि — ग्रेट निकोबार, लिटिल निकोबार, कोण्डुल, मेंचल, ट्रेस तथा मेरो और ऍम.ऍन. निकोबारिऍनसिस — कामोर्टा, ट्रिंकट, ननकौड़ी, कच्चल, टेरेसा, बॉमपोका तथा तिल्लनचॉन्गअंडमान और निकोबार द्वीप समूह दक्षिण पूर्वी एशिया के ज़्यादा निकट होने की वजह से पहले यह म्यानमार के कुछ तटवर्ती इलाकों में पाया जाता था, लेकिन अब वहाँ से विलुप्त हो गया है। दिसम्बर २००४ की सूनामी के बाद इनकी संख्या में भारी गिरावट देखी गई थी लेकिन बाद के वर्षों में इनकी संख्या में सुधार हुआ है, हालांकि अब भी मनुष्य द्वारा इनके इलाके का अतिक्रमण करने की वजह से इनको भारी ख़तरा है।
निकोबार मॅगापोड या निकोबारी जंगली मुर्ग (Nicobar Megapode या Nicobar Scrubfowl) (Megapodius nicobariensis) भारत की अंडमान निकोबार द्वीप समूह की निकोबार की दीपन मे पावल जाला। एकर 2 गो उपजाति निकोबार की 14 गो दीपन में पावल जालीं जेवन एह प्रकार से बाटे-
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह दक्षिण पूर्वी एशिया की ढेर नजदीक होखले की कारण पहिले ई म्यांमार की कुछ तटवर्ती इलाकन में भी पावल जात रहे, बाकी अब उहाँ से विलुप्त हो गइल बाटे।
दिसम्बर 2004 की सुनामी की बाद इन्हन कई संख्या में भारी गिरावट देखल गइल रहे लेकिन बाद की सालन में इन्हन कई संख्या में सुधार भइल बाटे, हालांकि अब्बो मनुष्य द्वारा इन्हन की इलाका क अतिक्रमण कइले की वजह से इन्हन के भारी ख़तरा बाटे।[2]
निकोबार मॅगापोड या निकोबारी जंगली मुर्ग (Nicobar Megapode या Nicobar Scrubfowl) (Megapodius nicobariensis) भारत की अंडमान निकोबार द्वीप समूह की निकोबार की दीपन मे पावल जाला। एकर 2 गो उपजाति निकोबार की 14 गो दीपन में पावल जालीं जेवन एह प्रकार से बाटे-
ऍम.ऍन. ऍबॉटि — ग्रेट निकोबार, लिटिल निकोबार, कोण्डुल, मेंचल, ट्रेस आ मेरो अउरी ऍम.ऍन. निकोबारिऍनसिस — कामोर्टा, ट्रिंकट, ननकौड़ी, कच्चल, टेरेसा, बॉमपोका आ तिल्लनचॉन्ग निकोबारी जंगली मुर्ग क अण्डाअंडमान और निकोबार द्वीप समूह दक्षिण पूर्वी एशिया की ढेर नजदीक होखले की कारण पहिले ई म्यांमार की कुछ तटवर्ती इलाकन में भी पावल जात रहे, बाकी अब उहाँ से विलुप्त हो गइल बाटे।
दिसम्बर 2004 की सुनामी की बाद इन्हन कई संख्या में भारी गिरावट देखल गइल रहे लेकिन बाद की सालन में इन्हन कई संख्या में सुधार भइल बाटे, हालांकि अब्बो मनुष्य द्वारा इन्हन की इलाका क अतिक्रमण कइले की वजह से इन्हन के भारी ख़तरा बाटे।